PATNA/ BUXAR : प्रगतिशील लेखक संघ के तत्वावधान में रविवार को स्थानीय ज्योति प्रकाश लाइब्रेरी परिसर में प्रेमचंद जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता साहित्यकार कुमार नयन ने की। संगोष्ठी का विषय 'प्रेमचंद के समय तथा आज का संघर्ष जो किसानी जीवन का है' रखा गया था। चर्चित कथाकार अखिलेश कुमार की कहानी 'कुहरे की रात' का पाठ भी किया गया जिसमें लेखक ने स्वयं अपनी जीवन कथा का वर्णन किया है।

कथा के संदर्भ में बात-चीत करते डॉ। दीपक कुमार राय ने कहा कि यह कहानी प्रेमचंद की परंपरा नामक कहानी को आगे बढ़ाती रेल मजदूरों की गाथा है जो हमारी संपूर्ण व्यवस्था पर करारा चोट करती है। उन्हेांने बताया कि नई व्यवस्था मे कुछ और भी नई समस्याएं है जिनका इस कहानी मे उल्लेख किया गया है। मौके पर कुमार नयन ने प्रेमचंद को भारतीय ग्रामीण जीवन का आईना बताते कहा कि प्रेमचंद ने लेखकों को लिखना, पाठकों को पढ़ना और लोगों को जीना सिखया है। संगोष्ठी में असर फरीदी, शशांक शेखर, शकील अहमद, डा। एस के सिंह, संजीव कुमार अग्रवाल, दीपचंद दास, विमल कुमार सिंह, क्षितिज केशरी, लक्ष्मी कुमारी, अंकित सिंह, राजेश शर्मा, कुमार अनुराग, धन्नुलाल प्रेमातुर, प्रेमजी लाल, राकेश कुमार राही, श्रीकृष्ण चौबे, श्री भगवान पांडेय, खुशबु कुमारी, पंकज कुमार आदि ने कहानी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए इसे एक उत्कृष्ट कहानी करार दिया और कहा कि अपने उद्देश्यों मे पूरी तरह सफल कहानी है।

लेखकों के रग-रग में विचार रक्त : राय

प्रगतिशील लेखक संघ के 80वीं सालगिरह और प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में कर्मयोगी सभागार अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ कार्यालय में सभा हुई। मुख्य बतौर अतिथि उत्तरप्रदेश सचिव संजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रगतिशील साहित्य आंदोलन आजादी से लेकर अभी तक सामाजिक संदर्भो में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। प्रलेस का विश्व साहित्यिक आंदोलन के साथ जुड़ाव रहा है। बिहार प्रदेश के राज्य सचिव रबिन्द्र राय ने प्रगतिशील साहित्य आंदोलन और प्रेमचंद के जुड़ाव का विस्तार से वर्णन किया। कहा कि प्रगतिशील लेखकों के रग-रग में प्रेमचंद के विचार रक्तभरे पड़े है। डॉक्टर सीताराम प्रभंजन, दीपक सिन्हा, डॉक्टर भगवान प्रसाद सिन्हा, मदनेश्वर नाथ दत्त, ं कर्मचारी संघ के राज्य अध्यक्ष शशिकांत राय, दीनानाथ सुमित्र,सीमा संगसार,अमरनाथ सिंह, रामकांत चौधरी, चितरंजन सिंह, कुंदन झा, मोहन मुरारी आदि उपस्थित थे।

उन्होंने कहा की प्रगतिशील साहित्य आंदोलन का अगर बेगूसराय के राजनितिक आंदोलन में विस्तार हुआ होता तो आज राजेंद्र राजन, रामजीवन सिंह, रामदेव राय, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह जैसे राजनीतिज्ञों की जगह जनता ने जिसको विकल्प में चुना वो सम्भव नहीं हो पाता। पूर्व विधायक राजेंद्र राजन, पूर्व प्राचार्य बोधन प्रसाद सिंह आदि ने भी सभा को संबोधित किया .स्वागत भाषण प्रलेस के जिला सचिव राम कुमार सिंह एवम संचालन रंगकर्मी अनिल पतंग ने किया। कार्यक्त्रम की अध्यक्षता

Posted By: Inextlive