'चाहे जो मजबूरी हो, मांग हमारी पूरी हो'
- सीएम ने शिक्षकों को दिया जल्द समाधान का आश्वासन
- शिक्षकों ने सरकार पर जताया भरोसा - मांग पूरी नहीं तो दोबारा आंदोलन की दी चेतावनी DEHRADUN: सरकार की चाहे जो मजबूरी हो, मांग हमारी पूरी हो। इस नारे के साथ प्रदेशभर के हजारों शिक्षक राजधानी दून में एकत्र हुए। क्7 सूत्रीय मांगों को लेकर दो दिन के सामूहिक अवकाश पर गए राज्यभर के प्राथमिक शिक्षक मांगों को लेकर सचिवालय कूच के लिए तैयार थे, लेकिन इससे पहले वे कूच करते, सीएम परेड ग्राउंड पहुंच गए। जिसके बाद कूच स्थगित कर दिया गया। सीएम ने शिक्षकों की अहमियत बताते हुए उनकी मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया। बारिश में शिक्षकों के बीच पहुंचे सीएममंगलवार को सचिवालय कूच के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत प्रदेशभर के करीब म् हजार शिक्षक परेड ग्राउंड पर एकत्र हुए। लेकिन इससे पहले वे कूच करते, सीएम परेड ग्राउंड पहुंच गए। भारी बारिश के बीच सीएम ने हजारों शिक्षकों को आश्वस्त किया कि वे उनका अहित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की क्7 सूत्रीय मांगों पर कार्रवाई जारी है।
पदोन्नति व वेतन विसंगति मामले में गठित की कमेटीपदोन्नति व वेतन विसंगति दूर करने के मामले में अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष कमेटी गठित की गई है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षकों के चार हजार पदों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। संघ की सभी तर्कसंगत मांगों पर सकारात्मक विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पदोन्नति विवाद के कारण होने वाले ब्000 पदों के नुकसान को नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा कुछ मामलों में शिक्षकों की राय भी ली जाएगी।
शिक्षकों ने जताया सरकार पर भरोसा उत्तराखंड राजकीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष निर्मला महर ने कहा कि लंबे समय से शिक्षक अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार अनदेखी कर रही है। लंबे आंदोलन के बाद सीएम ने मांगों पर सहमति जताई है। बुधवार को संघ की बैठक में इसकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि आंदोलन सफल रहा और सीएम ने खुद आकर शिक्षकों को भरोसा दिया। इसलिए सरकार को वक्त दिया जाएगा। फिर भी कार्रवाई नहीं हुई तो शिक्षकों को दोबारा आंदोलन शुरू करना पड़ेगा। इस मौके पर काफी संख्या में शिक्षक मौजूद रहे। चुनाव से पहले सियासी दबावदरअसल संख्याबल के आधार पर सरकार पर चुनाव से पहले सियासी दबाव बढ़ाया जा रहा है। हालांकि सीएम हरीश रावत ये कह चुके हैं कि उन पर जबरन चुनावी दबाव न बनाया जाए, लेकिन मानने वाला कौन है? और ये राह भी तो सरकार ने ही आंदोलन करने वालों को दिखाई है। जो संगठन आंदोलन पर उतरे उनकी मांगें मान ली गईं, तो दूसरों को भी राह मिली। जिस संगठन का जितना संख्याबल उसकी उतनी ही मांग प्रबल।
एक महीने में इतनी हड़ताल -संविदा कर्मचारी -उपनल कर्मचारी -राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ -अतिथि शिक्षक -बीपीएड, एमपीएड धारक -शिक्षणेत्तर कर्मचारी -प्रयोगशाला एवं कार्यालय सहायक -वाणिज्यकर मिनिस्ट्रियल स्टाफ -बेरोजगार संघ -बैकलॉग संघर्ष समिति -फार्मासिस्ट -नेशनल हेल्थ मिशन संविदा कर्मी -एएनएम -राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ -जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ -प्राथमिक शिक्षक संघ वर्जन इतनी नाराजगी और विरोध के बाद भी मैं शिक्षकों के पास आया। सभी मांगें जायज हैं, सरकार इन पर गंभीरता से विचार कर रही है। हमेशा आपका सहयोग मिला है। सभी मांगों को पूरा किए जाने का आश्वासन देता हूं। हरीश रावत, सीएम