तीन देशों की यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देर रात स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम पहुंचे। यहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। स्वीडन के पीएम स्टीफन लोफेन ने प्रोटोकॉल तोड़कर खुद एयरपोर्ट पर पीएम का स्वागत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह पहला स्वीडन दौरा है। इसके साथ ये भी बता दें कि तीस साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली स्वीडन यात्रा है।


स्वीडन पहुंचे नरेंद्र मोदीतीन देशों की छह दिवसीय यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम पहुंच चुके हैं। 1988 में राजीव गांधी की यात्रा के बाद यानी 30 साल बाद भारत से किसी प्रधानमंत्री की स्वीडन पहली यात्रा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगलवार को, मोदी स्वीडिश प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन के साथ एक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन करेंगे, जिसमें कई बड़े समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इसके बाद मोदी और लोफवेन स्वीडिश सीईओ की एक राउंड में भी हिस्सा लेंगे।दौरे की सूची


भारत और स्वीडन मिलकर मंगलवार को भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन का आयोजन करेंगे, जहां मोदी और लोफवेन के अलावा डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड और नॉर्वे के चार नॉर्डिक देशों के प्रधानमंत्री भी उपस्थित होंगे। बता दें कि शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी दूसरे चार नॉर्डिक देशों के नेताओं के साथ भी अलग द्विपक्षीय बैठक करेंगे। स्वीडन से, मोदी ब्रिटेन के लिए रवाना होंगे, जहां 18 अप्रैल को वे ब्रिटिश प्रधान मंत्री टेरिजा मे से मुलाकात करेंगे और फिर दोनों नेता लंदन के साइंस म्यूजियम का दौरा करेंगे। ब्रिटेन में पीएम मोदी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वहीं प्रिंस चार्ल्स भी पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे। यात्रा में जर्मनी भी शामिल

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी 19 -20 अप्रैल को लंदन में इस वर्ष के कॉमनवेल्थ प्रमुखों की सरकारी बैठक (सीओओजीएम) में हिस्सा लेंगे। फिर, 20 अप्रैल को ब्रिटेन से लौटने पर, वह जर्मनी में रुक जायेंगे, जहां उनकी मुलाकात जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से होगी। पहले इस यात्रा में जर्मनी शामिल नहीं था। लेकिन चासंलर मार्केल के अनुरोध पर इसे शामिल किया गया है। मोदी की इन तीनों देशों की यात्रा की अपनी अपनी अलग अहमियत होगी। नोर्डिक क्षेत्र के पांचों देशों ने इस तरह की संयुक्त बैठक इसके पहले सिर्फ एक बार अमेरिका से की थी। दूसरी बैठक भारत के पीएम के साथ की जा रही है। दुनिया का एक हिस्सा था, जिसके साथ संबंधों को लेकर भारत ने अभी तक कोई खास पहल नहीं की थी।

Posted By: Mukul Kumar