- मेडिकल कॉलेज के कई चक्कर लगा रही एंबुलेंस

- बैरक में बंदियों के लिए जगह का अभाव कर रहा परेशान

GORAKHPUR: मंडलीय कारागार में बंदियों की बढ़ती तादाद बीमारियों को दावत दे रही है। मौसम की मार से जेल के बंदी बीमार पड़ रहे हैं। बंदियों की तीमारदारी में जेल की एंबुलेंस दिनभर अस्पताल का चक्कर लगा रही। जेल अधिकारियों का कहना है कि जेल अस्पताल में बंदियों का उपचार जेल अस्पताल में कराया जाता है। मरीजों की जांच या अन्य गंभीर शिकायतों के सामने मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल भेजा जाता है।

बंदियों की भीड़, पूरी नहीं हो रही नींद

मंडलीय कारागार में बंदियों की मानक क्षमता से दो गुना से ज्यादा बंदी निरुद्ध किए गए हैं। मौसम की मार से बंदियों के बीमार पड़ने की तादाद बढ़ती जा रही थी। रोजाना तीन से चार बंदी उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल भेजे जाते हैं। बंदियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए जेल की एंबुलेंस दिनभर चक्कर लगाती रहती है। पहले से हार्ट, किडनी और अन्य बीमारियों से जूझ रहे बंदियों को नियमित जांच के लिए मेडिकल कॉलेज ले जाना पड़ता है। जेल से जुड़े लोगों का कहना है कि बंदियों की संख्या ज्यादा होने से रोजाना बंदी बीमार पड़ रहे हैं। इसलिए जेल के डॉक्टर और स्टाफ पर भी इसका दबाव रहता है। बैरकों में अपनी निर्धारित क्षमता से अधिक बंदियों के निरुद्ध होने से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। इसलिए जेल का भोजन भी आसानी से नहीं पच पा रहा जिससे तमाम समस्याएं सामने आने लगी हैं।

इन समस्याओं की होती शिकायत

हार्ट अटैक, शुगर, ब्लड प्रेशर, हीट स्ट्रोक, वायरल, सर्दी जुकाम, डि-हाइड्रेशन

बॉक्स

822 की क्षमता, दो हजार से अधिक बंदी

अंग्रेजों के जमाने में बनी जेल में बंदियों के निरुद्ध किए जाने की क्षमता 822 है। लेकिन क्षमता से दोगुने से ज्यादा बंदी जेल में निरुद्ध किए गए हैं। जेल में करीब दो हजार 40 बंदी हैं। इनमें तीन सौ सजायाफ्ता बंदी हैं जबकि करीब 80 बंदी कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। करीब 90 बुजुर्ग बंदी हैं जो भीड़ की वजह से घुटन महसूस करते हैं। उनकी रिहाई का इंतजाम न होने से वह अन्य बंदियों संग सजा काट रहे हैं। मौसम बदलने पर बुजुर्ग बंदियों को समस्या उठानी पड़ती है। जबकि महिला बंदियों और उनके बच्चों को आए दिन कोई ना कोई प्रॉब्लम होती है।

वर्जन

जेल में बंदियों के उपचार के लिए अस्पताल है। जिन बंदियों को बाहर उपचार या जांच की जरूरत पड़ती है उनको मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल भेजा जाता है। जेल के एंबुलेंस से पेशेंट्स को अस्पताल भेजा जाता है। इमरजेंसी में 24 घंटे सेवा मुहैया कराई जाती है। बंदियों के लिए नए बैरक बनाए जा रहे हैं।

- डॉ। रामधनी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive