- शहर में थमी नहीं डग्गामारी, बढ़ती जा रही मनमानी

- रोडवेज, आरटीओ और पुलिस के तालमेल में खेल

GORAKHPUR: शहर में डग्गामारों पर अंकुश लगाने वालों ने अपना हिस्सा लेकर आंखें बंद कर ली हैं। इसी का नतीजा है कि सालभर पूर्व शहर के भीतर से बंद की गईं प्राइवेट बसों का संचालन तीन माह से दोबारा धड़ल्ले से शुरू हो गया है। यूनिवर्सिटी हॉस्टल के पास खड़ी होने वाली बसों के अलावा डिपो के सामने से सवारियां भरी जा रही हैं। डिपो के सामने प्राइवेट बसों के खड़े होने से जाम लग रहा है। गुरुवार को बस स्टेशन के सामने से रेलवे स्टेशन तक आवागमन करने वाले लोगों को दिनभर जाम का सामना करना पड़ा। दोपहर ढाई बजे करीब आधा घंटा तक जाम लगा रहा। डिपो के सामने प्राइवेट बसों के सवारी भरने की पड़ताल पर सामने आया कि बस की भराई के लिए सबको रकम दी जाती है। इसलिए सभी विभागों के अधिकारी अनदेखी करते हैं। शिकायत सामने आने पर एक दूसरे पर मामला टाल देते हैं। डिपो के सामने कुशीनगर, देवरिया की डग्गामार बसों में सवारी बिठाते हैं जबकि रेलवे कॉलोनी पुलिस चौकी के सामने सोनौली की तरफ जाने वाली बसें सवारी उठाती हैं।

फिर शुरू हो गई मनमानी

शहर में डग्गामारी थमने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। यूनिवर्सिटी हॉस्टल के पास से जहां सैकड़ों बसों का संचालन हो रहा है। वहीं, रेलवे बस स्टेशन डिपो के सामने से ताल ठोंककर सवारियां भरी जा रही हैं। रोडवेज अधिकारियों की अनदेखी, पुलिस और आरटीओ की सुस्ती का खामियाजा पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है। बस डिपो के आसपास सौ मीटर के दायरे में खड़े होने वाले डग्गामार सड़क पर कब्जा कर ले रहे हैं। एआरएम ने बताया कि डिपो के सामने से प्राइवेट बसों में सवारी भरी जा रही है। कार्रवाई के लिए आरटीओ से बातचीत की जा रही है। अभियान चलाकर इस समस्या का समाधान किया जाएगा।

इस रेट में भरी जाती सवारी

स्टेशन से बस का रेट - 150 से 200 रुपए प्रति चक्कर

प्राइवेट बस के लिए हर माह खर्च- 5500 से 6000 रुपए

गोरखपुर शहर के भीतर से संचालित बसें- 300 से अधिक

क्या प्रॉब्लम झेल रही पब्लिक

- ज्यादातर बसें सड़क पर खड़ी करके सवारी भरी जाती है।

- रोडवेज के सामने प्राइवेट बसें खड़े होने से जाम लगता है।

- बस स्टेशन के रास्ते रेलवे स्टेशन जाने में लोग फंस जाते हैं।

- सड़क किनारे पटरी या अन्य रास्ता न होने से लोग हलकान होते हैं।

- बसों में सवारी भरने की आपाधापी में एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।

- पुलिस चौकी पर तैनात कांस्टेबल अक्सर गायब रहते हैं। रोडवेज अधिकारी ध्यान नहीं देते।

- प्राइवेट बसों के संचालन से रोडवेज को घाटा उठाना पड़ता है। पैसेंजर्स की कोई सुरक्षा नहीं होती।

वर्जन

बस डिपो के सामने से डग्गामार बसों में सवारियां भरी जा रही हैं। इस बात की जानकारी मिली है। पूर्व में डग्गामारों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभियान चलाया गया था। आरटीओ से बात करके जल्द ही डग्गामारों पर कार्रवाई की जाएगी।

- केके तिवारी, एआरएम गोरखपुर डिपो

Posted By: Inextlive