अब प्राइवेट संस्थाएं लगाएंगी बॉटल क्रशर
-रेलवे ने पीपीपी मॉडल के तहत क्रशर मशीन लगाने का जारी किया सर्कुलर
-वेंडर ही होगी सभी जिम्मेदारी, मेनटेनेंस के साथ डिस्पोजल की भी करनी होगी व्यवस्था -5 साल के लिए मिलेगा लाइसेंस, इसके बाद 3-3 साल का होगा एक्सटेंशनGORAKHPUR: रेलवे स्टेशनों पर लगाई जाने वाली बॉटल क्रशर मशीन अब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत लगाई जाएगी। प्राइवेट संस्थाओं को टेंडर के जरिए आमंत्रित किया जाएगा, जिसके बाद उन्हें जंक्शन पर बॉटल क्रशर मशीन लगाने की परमिशन मिलेगी। इसमें रेलवे सिर्फ स्पेशल अवेलबल कराएगा। बाकी इंस्टॉलेशन से लेकर मेनटेनमेंट तक की जिम्मेदारी वेंडर की होगी। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने बाकायदा सभी जोनल रेलवे को जारी कर दी गई है। सभी जोन को अपनी कनवीनियंट के अकॉर्डिग बॉटल क्रशर मशीन इंस्टॉल करानी है, जिसके बाद स्टेशन से प्लास्टिक बॉटल वेस्ट का प्रॉपर डिस्पोजल हो सकेगा और पैसेंजर्स को जंक्शन पर होने वाली गंदगी और वॉटर लॉगिंग जैसी प्रॉब्लम से नहीं जूझ्ाना पड़ेगा।
पांच साल के लिए होगा एग्रीमेंटरेलवे बॉटल क्रशर मशीन लगाने वाली संस्था से पांच साल का एग्रीमेंट करेगा। इसके बाद उसकी परफॉर्मेंस के अकॉर्डिग संस्था की वैलिडिटी एक्सटेंड की जा सकती है। मशीन के लिए फर्म को किस क्राइटेरिया को फुलफिल करना होगा, यह जोनल रेलवे तय करेंगी। वहीं मिनिमम लाइसेंस फीस क्या होगी, इसको तय करने की जिम्मेदारी भी जोनल रेलवे को ही सौंपी गई है। इसमें पीबीसीएम लगाने वाली संस्था को यह छूट होगी कि वह अपनी मशीन के 70 फीसद हिस्से में एड लगा सकता है। एड के लिए भी कुछ क्राइटेरिया हैं, जिसे संस्था को फुलफिल करना होगा। लाइसेंसधारी को कचरे की सेल और रेवेन्यू रखने की आजादी होगी।
हाईलाइट्स - - जोनल रेलवे को जरूरत के मुताबिक बॉटल क्रशर मशीन लगाने की परमिशन। - स्टेशन कैटेगरी के हिसाब से तय कर सकते हैं संख्या। - प्लेटफॉर्म या जंक्शन पर जगह आइडेंटिफाई करने की जिम्मेदारी भी जोन की होगी। - जोनल रेलवे के पास इसकी जगह बदलने का भी अधिकार होगा और पब्लिक की जरूरत के अकॉर्डिग जगह चेंज भी कर सकती है। - मशीन की खरीद, आपूर्ति, इंस्टॉलेशन, एक्टिवेशन और मशीन से जुड़ी सारी लागत लाइसेंस हासिल करने वाली पार्टी को वहन करनी है। गोरखपुर में अभी नहीं है जरूरतगोरखपुर जंक्शन पर बॉटल क्रशर मशीन इंस्टॉलेशन की बात करें तो यहां अभी इसकी जरूरत नहीं है। जंक्शन पर पहले से ही बॉटल क्रशर मशीन इंस्टॉल है। वहीं, प्लास्टिक बॉटल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए रेलवे ने एक फर्म को जिम्मेदारी भी दे दी है। यह कंपनी जंक्शन से सभी तरह के प्लास्टिक वेस्ट को डिस्पोज करेगी, जिसमें बॉटल भी शामिल है। कंपनी से इस बात के लिए टाईअप हुआ है कि पहले वह बायो डिग्रेडेबल वेस्ट को अलग करेगी, जिससे रेलवे बायो कंपोजिटर की मदद से खाद बनाएगा। वहीं बाकी प्लास्टिक वेस्ट को ले जाकर डिस्पोज करेगी। इसके एवज में वह रेलवे को पैसा भी देगी।
वर्जन गोरखपुर जंक्शन पर प्लास्टिक बॉटल वेस्ट के लिए कंपनी से टाईअप हुआ है, जो प्लास्टिक वेस्ट को सग्रिगेट कर बायो डिग्रेडेबल वेस्ट अलग कर देगी। बाकी वेस्ट का वह डिस्पोजल करेंगे। - पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे