डेंगू की जांच या जेब काटू अभियान
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लोगों की औसतन प्रतिदिन नामी निजी अस्पतालों व पैथोलॉजी में होती है जांच 200 रुपए में होती है निजी अस्पतालों व पैथोलॉजी में खून की जांच -डेंगू के इलाज में सरकार के आदेश व मानकों पालन नहीं कर रही निजी हॉस्पिटल -प्राइवेट हॉस्पिटल्स में हो रहे कट और कमीशन के खेल में पिस रहे हैं मरीज ALLAHABAD: जिले में डेंगू ने दस्तक क्या दी, प्राइवेट अस्पतालों और लैब संचालकों की निकल पड़ी है। तेज बुखार और बदन दर्द हुआ नहीं कि यहां डेंगू की झटपट जांच और फटाफट इलाज शुरू हो जाती है। सरकारी लैब में जांच कराए जाने का आदेश यहां धूल फांक रहा है। नतीजा, डेंगू की जांच जेब काटू अभियान में तब्दील होती जा रही है। यह है सही जांचनियमानुसार डेंगू की जांच मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलाजी लैब में कराई जानी चाहिए। इस एलाइजा जांच में डेंगू के वायरस की पुष्टि हो जाती है। इसे गवर्नमेंट ने मान्यता दे रखी है। लेकिन अपने शहर में फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा है। सच यह है कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में खून की जांच महज 200 रुपए में कराई जाती है। प्लेटलेट्स की संख्या कम पाते ही डेंगू मानकर वे इलाज शुरू कर देते हैं। अंधेर यह भी है कि वे इस बात की सूचना स्वास्थ्य विभाग तक को नहीं देते। आप को यह जानकर हैरानी होगी कि प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा की या कराई गई डेंगू की जांच वैध नहीं मानी जाती।
तस्दीक करते हैं आंकड़ें प्राइवेट पैथोलाजी में रोजाना डेंगू की यह अवैध जांच हजारों की संख्या में होती है। इनमें से कोरम पूरा करने के लिए वहां से सरकारी लैब में जांच के लिए गिनती के ही सैंपल भेजे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर मंगलवार को मेडिकल कॉलेज की लैब में जांच के लिए 14 सैंपल भेजे गए थे। इसमें दो की रिपोर्ट पाजिटिव रही। नाम न छापने की शर्त पर सिविल लाइंस स्थित एक नामचीन पैथोलॉजी के कर्मचारी ने बताया कि यहां रोजाना 50 से अधिक सैंपल जांच के लिए आते हैं। प्रत्येक सैंपल पर जांच के लिए 200 रुपए लिए जाते हैं। लैब में जांच के लिए आने वाले ज्यादातर लोग या सैंपल को निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स ही भेजते हैं। उनके पर्चे पर बाकायदा पैथोलॉजी का नाम लिखा होता है। बॉक्स-1 यह लक्षण दिखें तभी मानें डेंगू - तेज बुखार - आंखों के पिछले हिस्से में तेज दर्द - बॉडी में रैशेज पड़ जाना - प्लेटलेट्स कम हो जाने से ब्लीडिंग होना- जी मिचलाना और कमजोरी होना
बॉक्स-2
प्वॉइंट टू बी नोटेड - बीस हजार से कम होने पर ही अलग से प्लेटलेट्स चढ़वाई जानी चाहिए। - केवल डेंगू नहीं, दूसरे वायरल इंफेक्शन में भी प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। - सरकारी लैब में कराई गई जांच में हुई पुष्टि को डेंगू माना जाता है। - निजी नर्सिग होम्स को अपने यहां भर्ती मरीजों की जानकारी देने का पत्र स्वास्थ्य विभाग ने भेजा था, जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। वर्जन बॉडी में प्लेटलेट्स कम होने के दूसरे कारण भी होते हैं। इसलिए डेंगू का इलाज काफी एहतियात के साथ किया जाता है। जांच सरकारी लैब में ही कराई जानी चाहिए। -डॉ। आशुतोष गुप्ता, चेस्ट फिजीशियन निजी हॉस्पिटल्स को पूर्व में पत्र भेजा गया था। उनकी सूचना मिलने पर मरीज का सैंपल जांच के लिए मेडिकल कालेज भेजा जाता है। इस संबंध में सख्त हिदायत दी गई है। -डॉ। एएन मिश्रा, जिला संक्रामक रोग नियंत्रण अधिकारी