- आरटीई के तहत निजी स्कूल के एडमिशन में हो रहा खेल

- कम फीस वाले निजी स्कूलों को दिया जा रहा अधिक शुल्क

VIKASHNAGAR (JNN) : सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश पाए छात्रों का शुल्क दिए जाने में घपले की बू आ रही है। विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ के चलते उन विद्यालयों को भी अधिकतम शुल्क दिया जा रहा है, जिनका अपना वास्तविक शुल्क दो सौ रुपए प्रतिमाह प्रति छात्र है। सूत्रों के अनुसार इस शुल्क की बंदरबांट में निजी स्कूल संचालकों से लेकर कुछ विभागीय अधिकारी भी शामिल हैं। जो अपनी चांदी काटने के चक्कर में सरकार को प्रतिमाह लाखों का चूना लगा रहे हैं।

सरकार द्वारा दिया दी जाती है फीस

सरकार द्वारा निजी विद्यालयों पर नकेल कसने व सभी को समान व गुणवत्तापरक शिक्षा दिलाने के लिए प्रत्येक निजी विद्यालय को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से कक्षा आठ तक पच्चीस प्रतिशत एससी, एसटी सहित गरीब छात्रों के प्रवेश की अनिवार्यता लागू की। निजी विद्यालयों में प्रवेश पाने वाले इन पच्चीस प्रतिशत छात्र-छात्राओं का शुल्क सरकार द्वारा दिया जाता है, जो कि अधिकतम क्फ्8भ् रुपए प्रतिमाह है। जबकि छात्रों के ड्रेस व एमडीएम का पैसा उनके बैंक खाते में जमा कराया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि सरकार की इस योजना से छात्रों के बजाय कुछ अधिकारियों ने फायदा लेने के विकल्प तलाश लिए। सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क सीमा अधिकारियों व कुछ निजी स्कूल संचालकों के लिए भी चांदी काटने का माध्यम बन गई।

जांच की कोई व्यवस्था नहीं

दरअसल, सरकार की यह योजना छोटे-बड़े हर निजी शिक्षण संस्थान पर लागू होती है। मगर कई शिक्षण संस्थान ऐसे भी हैं जिनका प्रतिमाह प्रति छात्र शुल्क दो सौ से तीन सौ रुपए है। जबकि अधिकांश शिक्षण संस्थाओं में 900 रूपए प्रतिमाह से अधिक शुल्क नहीं है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारियों व निजी शिक्षण संस्थान संचालकों द्वारा सरकार को मुहैया कराए जाने वाले शुल्क के ब्यौरे में धनराशि अधिक दर्शायी जाती है, जिसके चलते सभी संस्थाओं को प्रतिमाह क्फ्8भ् रुपए प्रति छात्र की दर से भुगतान किया जा रहा है। शुल्क का सत्यापन ब्लाक स्तर पर होने के चलते इसकी जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

'निजी विद्यालयों को दिए जाने वाले शुल्क में घपले की शिकायत प्राप्त हुई है। जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर जांच कराई जाएगी व दोषी शिक्षण संस्थान की मान्यता रद्द करने के साथ अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी.'

- एसपी खाली, मुख्य शिक्षाधिकारी देहरादून।

Posted By: Inextlive