-मनमानी फीस पर अंकुश का मसौदा तैयार अल्पसंख्यक संस्थान भी दायरे में -सभी बोर्ड के स्कूलों पर लागू होगा नया प्रावधान 22 तक लोग दे सकते हैं अपने सुझाव

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए उत्तर सरकार ने इसके विधेयक का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसमें यह प्रावधान है कि निजी स्कूल अब हर साल एडमीशन फीस नहीं ले पाएंगे। प्रस्तावित विधेयक यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आइसीएसई सहित प्रदेश में संचालित सभी बोर्ड के स्कूलों पर लागू होगा। मसौदे में 20 हजार रुपये सालाना से अधिक फीस लेने वाले स्कूल-कॉलेज पर घेरा कसा गया है। सरकार ने 22 दिसंबर तक आम लोगों से सुझाव व आपत्तियां मांगी हैं।

 

विधेयक में खास

- निजी स्कूल बिना पूर्वानुमति के कोई भी फीस नहीं बढ़ा सकेंगे

- स्कूल निर्धारित फीस से अधिक फीस नहीं ले सकेंगे

- निजी स्कूल छात्रों से किसी भी प्रकार का कैपिटेशन शुल्क नहीं लेंगे

- ली जाने वाली फीस की छात्रों को देनी होगी रसीद

- कॉपी-किताब, जूते-मोजे व डे्रस आदि के लिए किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा

 

उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि उत्तर प्रदेश वित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक, 2017 का मसौदा तैयार कर माध्यमिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। 22 दिसंबर की शाम छह बजे तक आम लोग desecedu@gmail.com पर अपने सुझाव मेल कर सकते हैं। विधेयक अल्पसंख्यक संस्थाओं पर भी लागू होगा। फीस को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसमें संभव शुल्क, ऐच्छिक शुल्क व विकास शुल्क है। संभव शुल्क में ही परीक्षा शुल्क व शिक्षण शुल्क रखा गया है। मसौदे को तैयार करने में खाद्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने भी भूमिका निभाई।

 

सिर्फ तीन बार ले सकेंगे एडमिशन फीस

विधेयक के अनुसार हर साल स्कूल एडमिशन फीस नहीं ले सकेंगे। यदि बच्चे का एडमिशन नर्सरी में हुआ है तो कक्षा पांच तक उसी स्कूल में पढऩे पर उसकी एडमिशन फीस हर साल नहीं देनी होगी। केवल कक्षा छह में आने पर दोबारा एडमिशन फीस लगेगी। इसके बाद कक्षा नौ व बाद में कक्षा 11 में आने पर ही एडमिशन फीस देनी होगी। कुछ फीस ऐच्छिक होगी। यानी बच्चा यदि उन सुविधाओं को लेगा तभी स्कूल उनकी फीस ले सकेंगे।

 

यह फीस होगी ऐच्छिक

1-आवागमन सुविधाएं

2-बोर्डिंग सुविधाएं

3-भोजन

4-शैक्षिक भ्रमण

5-अन्य क्रियाकलाप आदि

 

डेवलपमेंट फीस 15 फीसद से अधिक नहीं

स्कूल डेवलपमेंट फीस कुल फीस का केवल 15 फीसद ही ले सकेंगे। यह फीस स्कूल अपने अवस्थापना विकास व स्कूल की नई शाखा खोलने में ही इस्तेमाल कर सकेंगे। डेवलपमेंट फंड संस्था की संपूर्ण आय का अधिकतम 15 प्रतिशत ही हो सकता है।

 

व्यावसायिक गतिविधियां मानी जाएंगी स्कूल की आय

स्कूल परिसर में यदि कोई दुकान या अन्य व्यापारिक गतिविधियां ट्रस्ट के नाम पर भी संचालित हो रही हैं तो इसे उसकी आय माना जाएगा। इसी हिसाब से छात्रों की फीस भी स्कूल को कम करनी होगी।

 

31 दिसंबर तक डिस्प्ले करनी होगी फीस

हर साल स्कूलों को 31 दिसंबर तक आगामी शैक्षिक सत्र की फीस डिस्प्ले करनी होगी। इसे स्कूल-कॉलेज के नोटिस बोर्ड के अलावा वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा।

 

बीच सत्र नहीं बढ़ सकती फीस

स्कूल बीच सत्र में फीस नहीं बढ़ा सकते हैं। हालांकि स्कूल चाहें तो अपने शिक्षकों के वेतन व भत्ते बीच में बढ़ा सकते हैं। स्कूल एक साथ सालाना फीस नहीं ले सकते हैं। फीस मासिक, त्रैमासिक या फिर छमाही ही जमा की जाएगी। स्कूलों को किसी भी शुल्क वृद्धि या आय व्यय का ब्योरा शैक्षिक सत्र के 60 दिन पहले वेबसाइट में देना होगा।

Posted By: Chandramohan Mishra