RANCHI : एक तरफ मेयर- डिप्टी मेयर और पार्षदों के बीच जंग छिड़ी हुई है तो दूसरी तरफ नगर निगम के निजीकरण का दौर चल रहा है। इस बाबत निगम के अधिकारियों मैन पावर की कमी और जनता को बेहतर सर्विस देने का हवाला दे रहे हैं। लेकिन, निगम के कामों को निजी हाथों में दिए जाने का असर जनता की जेब पर पड़ रहा है। वाटर टैक्स और होल्डिंग टैक्स से लेकर डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन की राशि बढ़ा दी गई है।

बिना टेंडर के ही वेस्ट कलेक्शन निजी हाथ में

होल्डिंग टैक्स और वाटर टैक्स के बाद अब वेस्ट कलेक्शन की राशि वसूलने का जिम्मा स्पायरो सॉफ्टटेक को सौंप दी गई है। खास बात है कि बिना टेंडर किए ही इस कंपनी को यह काम दिया गया है। यह हाल तब है, जब वेस्ट कलेक्शन का जिम्मा निजी हाथों में दिए जाने का परिणाम निगम देख चुकी है।

ए-टू-जेड की दो साल में हो गई थी छुट्टी

नगर निगम ने 2011 में सिटी की साफ-सफाई व वेस्ट कलेक्शन के लिए ए-टू-जेड कंपनी से 25 सालों का करार किया था। छह महीने तक तो कंपनी का कामकाज ठीक-ठाक रहा, पर बाद में इंफ्रास्ट्रक्चर व मैन पावर की कमी का बहाना बनाकर कंपनी ने साफ-सफाई में लापरवाही बरतनी शुरू कर दी। ऐसे में ए-टू-जेड से साफ-सफाई का करार रद करने के पार्षद के साथ आम लोगों ने आवाज बुलंद कर दी। आखिरकार 3 दिसंबर 2013 को नगर निगम से इस कंपनी की छुट्टी कर दी। इसके बाद निगम खुद साफ-सफाई का जिम्मा अपने हाथों में ले लिया, लेकिन एकबार फिर इसे निजी हाथों में दिए जाने का खेल चल रहा है।

अगले महीने से वाटर सप्लाई निजी हाथों में

अगले महीने से पानी के लिए आप अधिक टैक्स चुकाने के लिए तैयार हो जाएं। नगर निगम ने वाटर कनेक्शन और वाटर मीटर के बाद वाटर डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी निजी हाथों में देने का फैसला कर लिया है। मंगलवार को रांची नगर निगम बोर्ड मीटिंग में इसपर सहमति बन गई। अब पीपीपी मोड के तहत वाटर सप्लाई का जिम्मा प्राइवेट कंपनी संभालेगी।

खरीदे जाएंगे टैंकर व टंकी

नगर निगम ने 20 हजार लीटर के 4 टैंकर और 2 हजार लीटर की 30 टंकी खरीदने का फैसला किया है। इसके अलावा अवैध वाटर कनेक्शन रखनेवालों को नोटिस भेजकर 15 दिन का समय दिया जाएगा। इसके बाद भी अगर वह वाटर कनेक्शन को वैध नहीं कराता है या कनेक्शन नहीं हटाता तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।

Posted By: Inextlive