RANCHI:राज्य में जाति, आवासीय और आय प्रमाणपत्र की तत्काल सेवा बंद हो गई है। इसकी वजह से सबसे ज्यादा परेशानी स्टूडेंट्स को हो रही है। 29 दिसंबर 2017 को कार्मिक विभाग की ओर से सभी जिलों के डीसी को निर्देश दिया गया था कि तत्काल सेवा के तहत आय, जाति और आवासीय प्रमाणपत्र बनाए जाएं। इसके तहत 10 दिनों के भीतर प्रमाणपत्र जारी किया जाना था। फरवरी 2018 से तत्काल सेवा लागू की गई, लेकिन इस प्रावधान के छह महीने बाद ही योजना पस्त पड़ गई। मामले में प्रज्ञा केंद्र संचालकों का कहना है कि उनके पास हर दिन स्टूडेंट्स आ रहे हैं लेकिन अधिकारियों द्वारा आवेदन रिजेक्ट किए जाने के कारण इसमें केन्द्र से कुछ किया नहीं जा सकता।

अफसर से सत्यापित फिर भी आवेदन रिजेक्ट

कार्मिक विभाग ने निर्देश दिया था कि फॉर्म के साथ डीड समेत अन्य आवश्यक प्रमाणपत्र का सत्यापन आवेदक सीधे सीओ, बीडीओ, एसडीओ आदि संबंधित पदाधिकारी से कराकर ऑनलाइन आवेदन भरेंगे। इस प्रक्रिया से 10 दिनों में प्रमाणपत्र मिल सकते हैं। इसके लिए करमटोली स्थित प्रज्ञा केंद्र के संचालक प्रकाश सिंह ने बताया कि स्टूडेंट्स संबंधित पदाधिकारियों से आवेदन और अन्य कागजात सत्यापित कराकर ही ऑनलाइन तत्काल सेवा से फॉर्म भरते हैं, लेकिन इसमें भी पिछले कुछ महीनों से लगातार आवेदन फॉर्म रिजेक्ट हो रहे हैं।

एजेंट व स्टाफ से चढ़ावे का खेल

सूचनाओं के अनुसार, स्टूडेंट्स तत्काल सेवा के तहत ऑनलाइन फॉर्म भरने से पहले संबंधित पदाधिकारी के पास जाते हैं। कुछ तो एजेंटों के जाल में भी फंस जा रहे हैं जो सत्यापन के नाम पर चढ़ावा वसूली कर रहे हैं। स्टूडेंट्स पैसे तो दे देते हैं, लेकिन उनका आवेदन अंतत: रिजेक्ट हो जाता है। वह भी इसलिए, क्योंकि एजेंट ऐसे काम सरकारी कर्मचारियों से कराते हैं। अपने कर्मचारी पर विश्वास कर संबंधित पदाधिकारी सत्यापन कर देते हैं, लेकिन बाद में यही कर्मचारी ऑनलाइन आवेदन आने के बाद इसे रोक देते हैं, क्योंकि इन्हें पकड़े जाने का भय रहता है।

1978 के बाद की डीड नहीं हो रही सत्यापित

इन केंद्र संचालकों ने यह भी बताया कि संबंधित पदाधिकारी उन्हीं आवेदनों को सत्यापित करते हैं, जिनके डीड 1978 या उसके पहले के हों। ऐसे में इसके बाद आनेवाले डीड के आवेदनों का सत्यापन नहीं किया जाता है। जबकि, 1978 के बाद के डीड से अधिक संख्या में आवेदन आए हैं। ऐसे में कर्मचारी इन आवेदनों को भी पास करा देते हैं, जिसका उन्हें भय रहता है। संचालकों ने कहा कि अन्य दस्तावेज भी सही नहीं होने पर ऐसा किया जाता है। तत्काल सेवा की शुरुआत ही युवाओं की शिक्षा और सरकारी नौकरी के आवेदन को ध्यान में रखकर की गई थी जो पूरी तरह फेल होकर रह गई है।

Posted By: Inextlive