महेश भट्ट ने द आर्ट ऑफ स्टोरी टेलिंग में पब्लिक से किया इंटरैक्ट

एनसीजेडसीसी में शुरू हुआ तीन दिवसीय सांस्कृतिक पर्व

ALLAHABAD: सामाजिक व साहित्यिक संस्था संचारी की ओर से शुक्रवार को तीन दिवसीय सांस्कृतिक पर्व का आगाज किया गया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में समारोह के पहले सत्र में मुख्य अतिथि प्रख्यात निर्देशक महेश भट्ट ने द आर्ट ऑफ स्टोरी टेलिंग पर विचार रखे। दर्शकों के सवालों का जवाब देते हुए श्री भट्ट ने बताया कि जो हमारे जीवन में बीतता है और दिल के करीब होता है। उसे हम फिल्मों में दिखाते हैं। 90 का दशक देश के लिए राजनीति और व्यक्तिगत जीवन पर केन्द्रित था। तब हमने समय के अनुरूप फिल्में बनाई। उन्होंने तमाम सवालों के जवाब पूरी संजीदगी और रोचकता के साथ दिए। जिसे लोगों ने खुलकर सराहा।

अंतहीन होती है जिंदगी

एक सवाल के जवाब में श्री भट्ट ने कहा कि जिंदगी का अंत नहीं होता वो अंतहीन होती है। दूसरे सत्र में इतिहासकार रंक्षदा जलील, प्रो। आलोक राय व प्रो। अली अहमद फातमी ने प्रगतिशील लेखन पर चर्चा की। गायक विवेक प्रियदर्शन और प्रो। स्मिता अग्रवाल ने निराला व फिराक की रचनाओं से समां बांधा। एक अन्य सत्र में प्रो। नीलम शंकर गौर ने अपनी आने वाली पुस्तक का संदर्भ लेते हुए मशहूर गायिका जानकीबाई की चर्चा की। वरिष्ठ पत्रकार सबा नकवी, लेखिका निगहत गांधी व धर्मेश चौबे ने स्त्री विमर्श और उसकी स्वतंत्रता के तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाला।

चीफ जस्टिस ने किया शुभारंभ

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक पर्व का शुभारंभ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहेब भोसले व मुख्य अतिथि निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट ने दीप प्रज्जवलित कर किया। चीफ जस्टिस ने कला, साहित्य व संस्कृति के संरक्षण और उन्नयन की दिशा में संचारी संस्था के प्रयासों को महत्वपूर्ण कदम बताया। विशिष्ट अतिथि के रूप में जस्टिस वीके शुक्ला, जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस अरुण टंडन, जस्टिस पंकज नकवी, जस्टिस अनुभव उपाध्याय मौजूद रहे। संचालन व अतिथियों का स्वागत संचारी की सचिव समीना नकवी ने किया। कोषाध्यक्ष पल्लवी चंदेल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कविता आदमी होने की तमीज

सांस्कृतिक पर्व के दौरान कविता के बदलते स्वरुप व रुपों पर चर्चा हुई। डॉ। श्लेष गौतम ने कहा कि कविता आदमी होने की तमीज है। जो एक बेहतर इंसान बनाती है। उन्होंने 'लिखा किया रह जाएगा रहता नहीं शरीर, इसीलिए मरते नहीं तुलसी सूर कबीर' की प्रस्तुति की। वरिष्ठ कवि यश मालवीय ने कविता को समय का सच बताया। प्रो। स्मिता अग्रवाल ने कहा कि कविता अपने परिवेश के हिसाब से समाज की राह प्रशस्त करती है।

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ब्लैकमनी होगी अगली मूवी का सब्जेक्ट

इनॉगरेशन के बाद पत्रकारों से बातचीत में निर्माता निर्देशक महेश भट्ट ने कहा कि उनकी नेक्स्ट मूवी का सब्जेक्ट ब्लैकमनी और नोटबंदी होगा। मूवी में जनता के एक्सपीरिएंस और कालेधन पर नोटबंदी के इम्पैक्ट को समेटने की कोशिश की जाएगी। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने कहा कि यह महज एक कल्पना है कि नोट बंदी से काला धन बाहर आएगा। यह परियों सरीखी कहानी है। जहां उम्मीद जगती है लेकिन वह पूरी कभी नहीं होती है। आम आदमी परेशान हो गया है और वह आठ नवम्बर को हुई पांच सौ व एक हजार की नोट बंदी के फैसले से उबरने का इंतजार कर रहा है। उन्होंने नोट बंदी पर प्रधानमंत्री के फैसले की आलोचना की और प्रहार करते हुए कहा कि वे किस्से सुनाने में माहिर हैं लेकिन उससे जनता की तकलीफ दूर नहीं हो सकती। देशभर में बैंकों में लाइन लगाकर जनता रुपए निकाल रही है। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। फिल्म इंडस्ट्री भी नोट बंदी से प्रभावित हुई है। महेश भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता से 50 दिन का समय मांगा है। इसलिए तब तक उम्मीदों के साथ इंतजार किया जाएगा। उसके बाद भी परेशानी खत्म नहीं हुई तो हम भी मुंह में जवाब रखते हैं।

Posted By: Inextlive