- डिजीटल एंबुलेंस तक की सुविधा नहीं

- पैथोलोजिकल जांच की भी सुविधा नहीं

- कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर तक नहीं है यहां

आगरा। रेलवे हॉस्पिटल पर हर महीनों करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जाता है, लेकिन मौजूदा समय में बुनियादी सुविधाएं तक यात्रियों को नहीं मिल रही हैं। सीरियस मरीज को सिर्फ रेफर करने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं होता। जांच की तो छोडि़ए एंबुलेंस तक मरीज और तीमारदारों के लिए उपलब्ध ही नहीं है।

भटकते हैं सीरियस मरीज

आगरा कैंट स्थित रेलवे हॉस्पिटल में सुविधा और संसाधन की खासा कमी है। जरूरी उपकरण तक यहां समय पर नहीं मिलते हैं। रेलवे की ओर से कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। हालांकि संविदा पर डॉक्टरों की तैनाती हुई है। एक्सीडेंट केस, डिलीवरी, हार्ट अटैक, और बर्निग केस के पेशेंट के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इमरजेंसी के दौरान सीरियस पेशेंट को बाहर रेफर करने के अलावा कोई और विकल्प डॉक्टर्स के पास नहीं होता है। डिजीटल एंबूलेंस की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। मरीज और तीमारदारों को जरूरत पड़ती है तो औपचारिक तौर पर एक प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है।

आईसीयू है बंद

आगरा कैंट स्थित रेलवे हॉस्पिटल में गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू (गहन चिकित्सा कक्ष) की सुविधा नहीं है। हॉस्पिटल के सीएमएस की मानें तो 60 में से फिलहाल तकरीबन 50 बेड ही ऑपरेट हो रहे हैं। आईसीयू बंद है। सूत्रों की मानें तो आईसीयू में जरुरी उपकरण भी उपलब्ध नहीं है। हॉस्पिटल में 200 पदों के सापेक्ष तकरीबन 70 डॉक्टर ही तैनात हैं।

यहां से है अनुबंध

और तो और 60 बेड वाले हॉस्पिटल में जांचों की सुविधा तक नहीं है। अमूमन छोटी-मोटी जांच को छोड़कर, इनमें आगरा के तीन हॉस्पिटल से करार कर रखा है। इसमें उपाध्याय हॉस्पिटल, हेरिटेज हॉस्पिटल और पुष्पाजंलि हॉस्पिटल शामिल है। वहीं, जांच के लिए तीन पैथोलॉजी से कॉन्ट्रैक्ट है, इसमें पंकज, संपूर्ण और जिनॉन पैथोलॉजी है।

.पर अफसरों का ये है दावा

रेलवे अधिकारियों की मानें तो यात्रा के दौरान तबियत खराब होने पर पिछले तीन महीनों में आगरा मंडल के अंदर 272 पैसेंजर्स की कॉल अटेंड कर उपचार उपलब्ध कराया गया है। इसके अलावा इलाहाबाद की ओपीडी में 535, कानपुर की ओपीडी में 1100 और झांसी में 304 मरीजों का यात्रा के दौरान दिक्कत होने पर चिकित्सकीय सेवा मुहैया कराई गई।

Posted By: Inextlive