- 600 करोड़ की लागत से डेवलप होगी लेक

- केंद्र सरकार से ग्रीन सिग्नल मिलने का इंतजार

- द्वाराहाट के लिए भी लेक के लिए 10 करोड़ स्वीकृत

देहरादून:

यमुना नदी का फ्लो मेंटेन करने के लिए प्रदेश में यमुना पर 25 किलोमीटर लंबी लेक बनाने की तैयारी है। इस संबंध में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार से बात की है। करीब 600 करोड़ की लागत के इस प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। केंद्र से ग्रीन सिग्नल मिलते ही यमुना में लेक बनाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा द्वाराहाट में भी झील के लिए 10 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।

नाबार्ड द्वारा आयोजित सेमीनार

मंडे को सुभाष रोड स्थित एक होटल में नाबार्ड की ओर से सेमीनार का आयोजन किया गया। इस दौरान चीफ गेस्ट सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पहाड़ों में खेती करना कठिन है, लेकिन उचित सिंचाई साधन और सही फसल चयन कर कृषक अपनी आय बढ़ा सकते हैं। प्रदेश सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास करेगी और इसमें नाबार्ड से भी सहयोग लिया जाएगा। सरकार प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। साथ ही संसाधन बढ़ाने को भी प्रयास किए जा रहे हैं। जल संरक्षण के लिए लोगों को आगे आना होगा। बारिश के पानी का सदुपयोग कर लोग पानी बचा सकते हैं। सीएम ने जंगलों को नुकसान न पहुंचाते हुए खेती का दायरा बढ़ाने पर भी जोर दिया।

भांग और कंडाली को बनाएं स्वरोजगार

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भांग और कंडाली की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसे युवा स्वरोजगार का साधन बनाएं। भांग और कंडाली के रेशों से बेहतरीन कपड़े बनते हैं। इसका बाजार लगातार बढ़ रहा है। वही पहाड़ों में लिफ्ट आधारित सिंचाई योजनाएं खासी महंगी पड़ती हैं। ऐसे में यहां जलाशयों और चाल-खालों को बढ़ावा देने की जरूरत है। पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा और द्वाराहाट में झीलों का निर्माण किया जा रहा है। दून में भी सूर्यधार, सौंग आदि बांध और जलाशयों को विकसित किया जा रहा है।

डिफरेंट वैलीज विकसित करनी होंगी: उनियाल

सेमीनार में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल स्पेशल गेस्ट रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में डिफरेंट वैलीज को डेवलप किया जाना चाहिए। अलग-अलग वैली में अलग-अलग प्रोडक्ट्स की खेती की जाए। इसके अलावा उन्होंने सिंचाई नहरों की मरम्मत, ऑर्गेनिक खेती, मंडियों से बिचौलियों को हटाने, मशरूम और फूलों की खेती पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहाड़ की उत्पादकता शहरों से आधी है, लेकिन यहां विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। वन्य जीवों से फसलों को बचाने के लिए उन्होंने फेंसिंग पर भी जोर दिया। उन्होंने किसानों दी जा रही प्रोत्साहन राशि को भी बढ़ाने की जरूरत बताई।

Posted By: Inextlive