त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के विरोध में राजभवन के पास धरना

आदिवासी छात्र संघ ने किया था धरना का आयोजन

RANCHI: आदिवासी बहुल इलाकों में कतई पंचायत चुनाव नहीं होने देंगे। सरकार संविधान से ऊपर नहीं है। जब आदिवासियों को संवैधानिक अधिकारी मिला है, तो सरकार इसमें छेड़छाड़ कैसे कर सकती है। ये बातें स्वामी अग्निवेश ने रविवार को कहीं। वह रविवार को आदिवासी छात्र संघ की ओर से आयोजित राजभवन के समक्ष धरना को संबोधित कर रहे थे। मौके पर राज्यभर से जुटे आदिवासी समुदाय के कई लोग मौजूद थे।

पुरातन व्यवस्था को आघात

आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष सुशील उरांव ने कहा कि पी-पेसा कानून से छेड़छाड़ कर अनुसूचित बहुल इलाके में राज्य सरकार का पंचायत चुनाव कराने का निर्णय न्यायसंगत नहीं है। इससे आदिवासियों की पुरातन व्यवस्था पर आघात पहुंचेगा। आदिवासी जल, जंगल और जमीन से बेदखल हो जाएंगे।

गवर्नर, सीएम, विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन

धरना के बाद आदिवासी छात्र संघ के प्रतिनिधिमंडल ने गवर्नर, सीएम, विधान सभा अध्यक्ष के नाम ज्ञापन भी सौंपा है। मांगपत्र में यह उल्लेख है कि केंद्रीय कानून पी पेसा 1996 की धारा 4, 4(एम), 4(0) और धारा 5 की नियमावली बनाई जाए। धरना में मुख्य रूप से सुशील उरांव, प्रभाकर कुजूर, प्रकाश उरांव, जलेश्वर, संदीप सांगा, सालमोन, दीपा मिंज, कुलदीप तिर्की, संजय तिर्की, सहदेव मुंडा सहित आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोग शामिल थे।

क्या कहता है आदिवासी छात्र संघ

संघ के अध्यक्ष सुशील उरांव का कहना है कि पी पेसा कानून को अनुसूचित बहुल इलाकों में प्रभावहीन बनाने का प्रयास चल रहा है। 73वें और 74वें संविधान संशोधन के अनुच्छेद 243एम(4)बी में प्राप्त अधिकारों के तहत पी पेसा कानून का निर्माण हुआ, जिसपर राष्ट्रपति ने मुहर लगाई थी। इस कानून के तहत 23 प्रावधानों को अनुसूचित बहुल इलाकों में स्वच्छ प्रशासन के लिए विस्तारित किया गया था। लेकिन सरकार ने असंवैधानिक ढंग से पीपेसा कानून 1996 से पी शब्द को हटाकर पेसा कानून का स्वरूप दे दिया। नए कानून से पुराने कानून में उल्लेखित तमाम आदिवासी हितों को हटाते हुए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था कायम कर दी।

Posted By: Inextlive