- विधानसभा सत्र के दूसरे दिन 108 के पूर्व कर्मियों, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ समेत आशाओं ने किया विधानसभा कूच

- पुलिस ने रिस्पना पुल से पहले बेरिकेडिंग पर रोका तो सड़कों पर घंटो धरने पर बैठे रहे प्रदर्शनकारी

DEHRADUN: विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सड़कों पर 108 के पूर्व कर्मियों, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ समेत आशाओं ने अपनी-अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन कर स्टेट गवर्नमेंट के खिलाफ हल्ला बोला। संगठनों ने विधानसभा कूच किया, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रिस्पना पुल से पहले बेरिकेडिंग लगाकर रोका तो वे सड़कों पर ही घंटो धरने पर बैठे रहे।

पूर्व कर्मियों ने सड़क पर घंटों बैठकर किया प्रदर्शन

इमरजेंसी सेवा 108 से निकाले गए पूर्व कर्मचारियों ने ट्यूजडे को विधानसभा कूच किया। काफी देर तक पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों को समझाते रहे, लेकिन वे घंटो रिस्पना पुल से पहले बेरिकेडिंग के पास सड़क पर जमे रहे। नारेबाजी करते समय भीषण गर्मी से हरिद्वार से आए विनोद बेहोश हो गए। साथियों ने विनोद को सड़क से उठाकर पास छांव में बैठा दिया। इसके बाद 108 एम्बुलेंस को बुलाया गया लेकिन विनोद को होश आते ही उन्होंने एम्बुलेंस से जाने से इनकार कर दिया, इसके बाद विनोद का चेकअप भी कराया गया। इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों में हल्की झड़प भी हुई। संघ के सचिव विपिन जमलोकी ने कहा कि राज्य सरकार ने ग्यारह साल से सेवा दे रहे कर्मचारियों को एक ही झटके में बेरोजगारों की कतार में खड़ा कर दिया है। आज 717 कर्मचारियों के परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि मांग पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा। शाम को सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन सौंपा।

जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों की महारैली

जूनियर हाईस्कूल और हाईस्कूल के एकीकरण का शासनादेश निरस्त करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेशभर के जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों ने परेड मैदान स्थित धरनास्थल से विधानसभा तक रैली निकाली। रिस्पना पुल से पहले पुलिस ने बेरिकेडिंग कर उन्हें रोक दिया। हल्की नोक-झोंक के बाद शिक्षक सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। करीब एक घंटे तक शिक्षक सड़क पर धरना देकर विरोध जताते रहे। इसके बाद सचिव शिक्षा से वार्ता के लिए प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा, महामंत्री राजेंद्र प्रसाद बहुगुणा, दीवान सिंह रावत, अतुल शर्मा आदि सचिवालय चले गए। बाद में शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सचिव शिक्षा डॉ। आर मीनाक्षी सुंदरम से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा।

आशाओं ने मांगा न्यूनतम वेतन

कामगार घोषित किए जाने, न्यूनतम वेतनमान 18 हजार रुपये करने समेत छह सूत्रीय मांगों को लेकर आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी विधानसभा कूच किया। रिस्पना पुल से पहले बेरिकेडिंग पर रोके जाने पर उनकी पुलिस कर्मियों से तीखी नोक-झोंक भी हुई। जिस पर आशाएं भी वहीं धरने पर बैठ गईं। उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन की अध्यक्ष शिवा दुबे ने कहा कि आशाएं स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं। उन पर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके बहुत कम मानदेय दिया जा रहा है। आशाएं लंबे समय से कामगार घोषित करने और न्यूनतम वेतन देने की मांग कर रही हैं। लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांग को नजरअंदाज किया जा रहा है। दुबे ने मांग की कि आशाओं को न्यूनतम वेतनमान 18 हजार रुपये दिया जाए।

Posted By: Inextlive