गिनाई नेशनल मेडिकल कमीशन बिल की कमियां

आईएमए के डॉक्टरों से विरोध के लिए मांगा सहयोग

ALLAHABAD: नेशनल मेडिकल कमीशन बिल पूरी तरह असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। इस संस्था में शामिल 20 फीसदी निर्वाचित सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 70 फीसदी की जाए, जिससे जनता के हित की रक्षा हो सके। यह बात इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ। त्रिभुवन सिंह मंगलवार को कही। वह एनएमसी के विरोध में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बिल के विरोध में कई तथ्य प्रस्तुत किए।

नहीं है नेक्स्ट परीक्षा का औचित्य

एएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि एमबीबीएस के बाद दोबारा नेक्स्ट परीक्षा का कोई औचित्य नहीं है, जबकि बिल में इसे शामिल किया गया है। कहा कि आयुष का अलग से विकास किया जाए। इसे एक क्रैश कोर्स के बाद एलोपैथिक प्रैक्टिस की इजाजत देना एक आत्मघाती कदम है। उन्होंने कहा कि विदेश में पढ़े हुए छात्रों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट खत्म करने का प्रावधान भी मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ से कम नहीं।

मत दें अफसरशाही को बढ़ावा

सचिव ने कहा कि एमसीआई का काम मेडिकल प्रैक्टिस में गुणवत्ता पर नियंत्रण रखना है। जबकि एनएमसी में केंद्र सरकार को कानून के अंदर सीधे निर्देश देने का अधिकार दिया गया है। इसके अलावा बिल में प्राइवेट कॉलेजों के मैनेजमेंट को 60 फीसदी देकर गरीबों को शिक्षा से वंचित करने और कॉर्पोटाइजेशन के बढ़ावे का विरोध भी किया गया है। एएमए की ओर से मौजूद अध्यक्ष डॉ। अनिल शुक्ला, साइंटिफिक सचिव डॉ। आशुतोष गुप्ता समेत तमाम पदाधिकारियों ने अपनी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए डॉक्टरों के सुझाव मेल आईडी chfw@sansad.nic.in पर भेजने की अपील की है।

Posted By: Inextlive