नये कृषि कानूनों को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी किसान ठंड बढ़ने के बावजूद अब भी दिल्ली बाॅर्डर पर जमे हुए हैं। इधर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देश भर के किसानों को नये कृषि कानून के फायदों को स्थानीय भाषा में समझाने की तैयारी कर रही है।


नई दिल्ली (पीटीआई/एएनआई)। केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान ठंड बढ़ने के बावजूद दिल्ली बाॅर्डर पर जमे हुए हैं। वे इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली में तापमान लुढ़क कर 3.4 डिग्री सेल्सियस आ गया। रविवार सुबह अब तक मौसम का सबसे ठंडा दिन रहा।कृषि मंत्री के लेटर का होगा विभिन्न भाषाओं में अनुवादइधर नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार देश भर में किसानों को नये कृषि कानूनों के फायदा में उनकी स्थानीय भाषा में जानकारी देने की तैयारी कर रही है। प्रदर्शनकारी किसानों को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आठ पेज के लेटर को विभिन्न स्थानीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।दिल्ली रविवार की सुबह शीतलहर की चपेट में, तापमान सामान्य से कम


भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी एक बयान मुताबिक, रविवार को दिल्ली शीतलहर की चपेट में था। सफदरजंग ऑब्जर्वेटरी के आंकड़ों के अनुसार, शहर में न्यूनतम तापमान 3.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसके अलावा रविवार की सुबह पांच अन्य स्थानों पर भी तापमान सामान्य से नीचे बना हुआ था। अधिकारियों ने बताया कि अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच सकता है।किसानों का धरना चौथे सप्ताह हारी, ट्रैफिक डायवर्जन से लोग परेशान

किसानों का प्रदर्शन चौथे सप्ताह भी जारी रहा। इसकी वजह से ट्रैफिक डायवर्जन करना पड़ा जिससे सीमा पर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ट्वीटर पर वैकल्पिक रास्तों के को लेकर अलर्ट जारी करती रही। यातायात पुलिस के मुताबिक, टिकरी और धनसा बाॅर्डर पर यातायात बंद कर दिया गया। झाटिकारा बाॅर्डर दोपहिया वाहन और पैदल चलने वालों के लिए खुला रहा।किसानों को उनकी भाषा में नये कृषि कानून के बारे में देंगे जानकारीसूत्रों ने बताया कि लेटर मुख्य रूप से हिंदी में लिखा गया था जो अब किसान समुदाय के बीच पूरे देश में बांटा जाएगा। इसमें किसानों को उनकी स्थानीय भाषा में केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री की चिट्ठी को देश के मुख्य भाषाओं में अनुवाद करके कृषि कानूनों के फायदों के बारे में जानकारी देने का निर्णय लिया है।गैर हिंदी भाषी राज्यों से कृषि कानून लोकल भाषा में समझने की मांग

सूत्र ने बताया कि बहुत सारे गैर हिंदी भाषी राज्यों से इस बात की मांग की गई है कि वे कृषि कानूनों के बारे में अपनी भाषा में जानकारी चाहते हैं। चूंकि कृषि मंत्री की चिट्ठी हिंदी में थी और उन राज्यों के लोग हिंदी लिख-पढ़ नहीं पाते हैं इसलिए विभिन्न भाषाओं में इस पत्र के अनुवाद का निर्णय लिया गया है। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल मुख्य रूप से शामिल हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh