PT Usha Birthday : 101 इंटरनेशनल मेडल जीतने वाली पीटी उषा अपना 59वां बर्थडे मना रही है। भारत को ओलंपिक फाइनल तक पहुंचाने वाली देश की पहली महिला एथलीट पीटी उषा ने काफी संघर्षों के बाद इस मुकाम को हासिल किया है। आइए उनके बर्थडे पर जानें उनसे जुड़े स्पेशल फैक्ट...

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। PT Usha Birthday : पीटी उषा देश के फेमस प्लेयर्स में एक हैं। वह आज किसी परिचय की माेहताज नही हैं। 27 जून 1964 को केरल में ईवीएम पैथल और टीवी लक्ष्मी के घर एक गरीब परिवार में जन्मीं पिलावुल्लाकांडी थेक्केपराम्बिल उषा भारतीय खेल इतिहास में एक महान हस्ती बन चुकी हैं। इंटरनेशनल लेवल पर अपने शानदार रिकॉर्ड के लिए उन्हें 'पय्योली एक्सप्रेस' और 'क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एंड फील्ड' का खिताब मिला। फेमस इंडियन एथलीट में से एक मानी जाने वाली उषा 70, 80 और 90 के दशक में सुर्खियों में रहीं।

बेहद गरीबी से गुजरीं पीटी उषा
उषा को बचपन से ही दौड़ने का शौक था लेकिन गरीबी और खराब स्वास्थ्य ने उनके सपनों को लगभग चकनाचूर कर दिया। लेकिन कहते हैं ना कि हर अंधेरी सुरंग के आखिरी में रोशनी की किरण होती है, उषा की किस्मत ने तब बेहतर मोड़ लिया जब उन्हें केरल सरकार से 250 रुपये स्काॅलरशिप मिली। उस समय ये रुपये एक बड़ी रकम थी। वहीं अपनी विनम्र भावना के अनुरूप, उषा अपनी सफलता का श्रेय अपने निजी कोच ओम नांबियार को देती हैं, जिन्होंने उस समय एक महिला एथलीट के रूप में उनके शानदार उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

चौथी कक्षा में सीनियर को हराया
उषा केरल के एक छोटे से गांव पय्योली की रहने वाली है, लेकिन उसके जैसे एथलीटों के लिए आसमान ही एक सीमा थी। बचपन में ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद, वह स्कूल ग्रेड लेवल की दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेती थीं। चौथी कक्षा की छात्रा के रूप में, उन्होंने अपने स्कूल चैंपियन को हराया जो दौड़ में उससे सीनियर था और वह पहले नंबर पर थीं।

ओम नांबियार उनके बेहतरीन कोच
वह 1980 में कराची में राष्ट्रीय पाकिस्तान खेलों के लिए दौड़ीं जहां उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ जीतीं। ओम नांबियार, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना, उनके एथलेटिक करियर के लिए उनके निजी कोच बने रहे। वह 1980 के मॉस्को ओलंपिक में भाग लेने वाली पहली और सबसे कम उम्र की भारतीय महिला थीं।

जब 400 मीटर में गोल्ड मेडल जीता
1981 में कुवैत में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप में उन्होंने 400 मीटर में गोल्ड मेडल जीता था। 1982 में नई दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों में, उषा ने 100 मीटर और 200 मीटर में सिल्वर मेडल जीते। वह ओलंपिक ट्रैक इवेंट के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला धावक थीं।

एडिडास गोल्डन शू पुरस्कार मिला
1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में उषा ने 400 मीटर दौड़ में चौथा स्थान हासिल किया लेकिन एक सेकंड के सौवें हिस्से से ब्रांज मेडल हार गईं। 1986 के सियोल ओलंपिक में उन्हें सर्वश्रेष्ठ एथलीट के लिए एडिडास गोल्डन शू पुरस्कार मिला।

अर्जुन और पद्म श्री पुरस्कार भी मिले
पीटी उषा ने 1985 एशियाई चैंपियनशिप में पांच गोल्ड मेडल भी अर्जित किए, जो किसी भी महिला एथलीट के लिए एक ही स्पर्धा में सबसे अधिक हैं। खेल के क्षेत्र में उनके योगदान और उपलब्धि के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अर्जुन और पद्म श्री पुरस्कार भी मिले हैं।

Posted By: Shweta Mishra