- राष्ट्रपति के हिंदी में निर्णय देने के सुझाव का राज्यपाल ने समर्थन किया

LUCKNOW : 'लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की अपनी-अपनी भूमिका है। जनता का आज भी न्यायपालिका पर सबसे ज्यादा विश्वास है। आने वाले समय में न्यायपालिका पर जनता का विश्वास और सुदृढ़ हो, इस पर विचार किया जाए। लंबित वाद का बोझ चिंता का विषय है। इस बीमारी का हल निकालना भी जरूरी है। न्यायिक प्रणाली की सफलता इसमें है कि दोनों पक्षों को लगना चाहिए कि उन्हें न्याय मिला है। न्यायिक निर्णय की गुणात्मकता का भी विशेष ध्यान रखा जाए'। यह बात राज्यपाल राम नाईक ने रविवार को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में आयोजित उप्र न्यायिक सेवा संघ के अधिवेशन के समापन समारोह में कही।

पदाधिकारियों को दिलाई शपथ

राज्यपाल ने समापन समारोह में न्यायिक सेवा संघ के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को पद की शपथ भी दिलाई। इस अवसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, जिला जज लखनऊ नरेंद्र जौहरी, उप्र न्यायिक सेवा संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष रनधीर सिंह, महासचिव हरेंद्र बहादुर सिंह, अन्य पदाधिकारी तथा जनपदों से आए न्यायिक अधिकारी उपस्थित थे। राज्यपाल ने न्यायिक सेवा संघ के निर्वाचन में 43 प्रतिशत मतदान पर कहा कि लोकतंत्र में मतदान का बड़ा महत्व है। पूर्व में राजनीतिज्ञ होने के कारण मतदान प्रतिशत में उनकी विशेष रूचि रहती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी संस्थाओं के चुनाव में सबकी सम्पूर्ण भागीदारी होनी चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हिंदी में निर्णय देने के सुझाव का समर्थन करते हुए कहा कि न्यायालय निर्णय देने में हिन्दी भाषा का प्रयोग करें। महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों एवं अपराध के खिलाफ जल्द फैसला करने के लिए भी विचार करने की आवश्यकता है।

Posted By: Inextlive