आगरा। डॉक्टरों की संवेदनहीनता एक बार फिर सामने आई है। जिला अस्पताल में रैबीज का इंजेक्शन लगवाने गए 12 साल के लड़के को बिना इंजेक्शन के वापस भेज दिया। दर्द से तड़प रहे बच्चे के पेरेंट्स ने काफी गुजारिश की, लेकिन डॉक्टर्स का दिल नहीं पसीजा। काफी देर बाद भी जब इलाज नहीं मिला तो परिजन बच्चे को प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए।

इंजेक्शन का न होना का दे दिया हवाला

जगदीशपुरा निवासी जाहिद ने बताया कि सड़क पर टहलने के दौरान एक आवारा डॉग ने पैर में बुरी तरह काट लिया था। वह बच्चे को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। इंजेक्शन लगाने को कहा तो डॉक्टर ने कह दिया कि हमारे पास इंजेक्शन नहीं है। परेशान परिजन बहते खून के साथ ही बच्चे को प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए।

रैबीज इंजेक्शन के लिए पहुंचने वाले मरीज

200

एसएन में भी नहीं इंजेक्शन

एसएन मेडिकल कॉलेज को दिल्ली के एम्स की तर्ज पर बनाया जा रहा है। सुपर स्पेशिलिटी बिल्डिंग एवं सेंट्रलाइज्ड एसी बिल्डिंगों का निर्माण किया जा रहा है। रोज करीब तीन हजार से अधिक पेंशेंट ओपीडी में आता है। उसके बावजूद यहां एंटी रैबीज इंजेक्शनों की व्यवस्था नहीं है। इमरजेंसी में पहुंचने वाले मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है।

पहले भी सामने आई थी संवेदनहीनता

24 अगस्त को आठ वर्षीय बच्ची को रैबीज का इंजेक्शन समय पर न लग पाने पर उसकी मौत हो गई थी। बाह के खजुआ गांव की रहने वाले रामवीर सिंह की आठ साल की बच्ची का समय पर इंजेक्शन न लग पाने के कारण मौत हो गई थी। जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र चिकित्साधिकारी डॉ। देव कुमार को निलंबित कर दिया गया था।

वर्जन

इंजेक्शन लगवाने के लिए जिला अस्पताल ले गए थे। वहां डॉक्टरों ने कहा कि हमारे पास इंजेक्शन नहीं है। यहां से ले जाओ। बच्चे को प्राइवेट अस्पताल में इंजेक्शन लगवाए हैं।

जाहिद, बच्चे का पिता, जगदीश पुरा

अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध है। अगर किसी कारणों से इंजेक्शन नहीं लग पाया है तो उस समस्या को संज्ञान में लिया जाएगा। विभाग में आने वाले सभी मरीजों के लिए इंजेक्शन की व्यवस्था उपलब्ध है।

डॉ। सतीश कुमार वर्मा, अधीक्षक, जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive