Allahabad: प्रेगनेंसी के दौरान मदर्स को किसी भी तरह से रेडिएशन से बचकर रहना होगा वरना उनका होने वाला बेबी कॉम्प्लेक्स बर्थ डिफेक्ट का शिकार हो सकता है. शहर के ऐसे ही एक केस में फिलहाल डॉक्टर्स ने भले ही एक बच्चे का जीवन बचा लिया हो लेकिन अब एलर्ट होने की बारी आपकी है. आपकी एक नासमझी नवजात की जिंदगी को खतरे में डाल सकती है.

Avoid these things

डॉक्टर्स की मानें तो प्रेगनेंट मदर के लिए किसी भी तरह का रेडिएशन खतरनाक साबित हो सकता है। एग्जाम्पल के तौर पर प्रेगनेंसी के दौरान किसी एक्सरे, अनावश्यक अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन आदि से बचना चाहिए। इनके रेडिएशन से निकलने वाली घातक तरंगे बच्चे में कॉम्प्लेक्स बर्थ डिफेक्ट पैदा कर सकती है। इसके अलावा झटके की दवाओं को भी अवॉयड करना चाहिए। प्रेगनेंसी पीरियड में खानपान को इग्नोर करने वाली महिलाओं को अपने न्यूट्रिशन पर अधिक ध्यान देना होगा। इंटरनेशनल लेवल पर होने वाली रिसर्च में ये प्वाइंट्स पू्रव भी हो चुके हैं. 

Example सामने है

मीरापुर की रहने वाली सुनीता नायक ने छह मंथ पहले बेबी को जन्म दिया था। जब उन्हें पता चला कि बच्चे की खाने की नली केवल गर्दन तक है तो उनके होश उड़ गए। ऐसी सिचुएशन में बच्चे को जीवित रहने के लिए दूध पिलाना मुश्किल था। फीनिक्स हॉस्पिटल के डॉ। धनेश अग्रहरि कहते हैं कि इसे रेयर कॉम्प्लेक्स बर्थ डिफेक्ट कह सकते हैं। ऐसे मामले एक लाख बच्चों में से किसी एक में सामने आते हैं। उन्होंने इस केस को एक्सेप्ट करते हुए तत्काल बच्चे के पेट के बाहर से एक नली सीधे पेट में डाल दी। ताकि, उसे सीधे दूध पिलाया जा सके। उन्होंने पैरेंट्स को सर्जरी की जटिलता के बारे में साफ बता दिया। जिसपर वह मान भी गए।

इस तरह से बचाई जिंदगी

17 जुलाई को दोबारा सर्जरी के दौरान डॉ। अग्रहरि ने बच्चे के पेट के एक बड़ी आंत के हिस्से को अधूरी खाने की नली से जोड़ा। उसके नीचे का हिस्सा पेट के थैले से लिंक किया गया। पांच घंटे तक ट्रांसप्लांट सर्जरी पूरी तरह सक्सेज रही। उनके साथ ही रेयर सर्जरी में डॉ। अल्पना शर्मा, डॉ। जेवी राय शामिल रहे। बकौल डॉ। अग्रहरि, पिछले 40 सालों में पूरे विश्व में ऐसी केवल 24 सर्जरी हुई है। यूपी में यह अपनी तरह का पहला एचीवमेंट है। वह मानते हैं कि पैरेट्स अगर प्रेगनेंसी के दौरान सावधानी बरतें तो ऐसी स्टेज से वह बच सकते हैं. 

Normal होने में लगता है समय

ऐसी रेयर सर्जरी के बाद पेशेंट को शुरुआती सर्वाइवल में थोड़ी दिक्कतें पेश आती हैं। डॉ। जेवी राय ने बताया कि खाने की नली के प्रत्यारोपण के बाद बच्चे को नॉर्मल होने में दो से तीन साल का समय लग सकता है। बशर्ते पैरेंट्स को उसके न्यूट्रिशन पर ध्यान देना होगा। इससे भी ज्यादा जरूरी है कि बच्चे और पैरेंट्स के बीच इमोशनल टच रहे। इससे उसकी अच्छी रिकवरी होगी।

Posted By: Inextlive