सरकारी बैंकों के ख़राब लोन के आंकड़ों में अब जल्‍द ही सुधार की प्रकिया अपनाई जाएगी। बैंकों की बैड लोन प्रणाली से देश के वित्तीय तंत्र को गहरी चोट लगी है। ऐसे में अब आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने इसे सुधारने का आदेश दिया है। उनका कहना है कि इसके लिए सबसे पहले बैंकों की बैलेंस शीट ठीक होना बेहद जरूरी है।


बैंकों के शेयर गिरेरिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने कल उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित सम्मेलन में भाग लिया। जिसमें उन्होंने  सरकारी बैंकों के ख़राब लोन के आंकड़ों को लेकर चिंता व्यक्त की है। भारतीय बैंको में ख़राब लोन की रक़म क़रीब सौ अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है। जिससे अब निवेशकों को चिंता होने लगी है। सबसे खास बात तो यह है कि ख़राब लोन के आसमान छूते आंकड़ों ने शेयर मार्केट में हलचल ला दी है। इससे बैंकों के शेयर भी गिरे हैं। उनका कहना है कि अब साफ है कि इस दिशा में सुधार की सख्त जरूरत है। इसके लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया और सरकार दोनों ही हर संभव प्रयास करेगी। ऐसे में सबसे पहले बैंकों की बैलेंस शीट ठीक होना बेहद जरूरी है। बैंकों की बैलेंसशीट साफसुथरी होने पर लोगों को लोन मिलने की प्रकिया आसान हो जाएगी।
सहायता देने में समर्थ


इसके साथ ही बैंक अधिक से अधिक लोगों को कर्ज सहायता देने में समर्थ हो जाएंगे। इतना ही नहीं उनका कहना है कि बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा (एक्यूआर) के तहत बैंकों का कर्ज चुकाने में चूक करने वाले बड़े कर्जदारों की पहचान की जाएगी। इसके साथ ही यह भी सलाह दी कि बैंक लोगों को लोन दे लेकिन इस दिशा में सोच समझ कर कदम उठाएं। उन्हें एक साफ सुधरे तरीके से एनपीए (वसूल नहीं हो रहे कर्जों) को स्वीकार करना होगा। हालांकि फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराएगी। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य पूंजी उपलब्ध कराकर मार्च 2017 तक बैंकों के हालात सुधरना है।

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Posted By: Shweta Mishra