-राहुल गांधी ने रिक्शा और ऑटो ड्राइवर्स की सुनी बातें

-उनकी बातों को मेनिफेस्टो में शामिल करने का किया वादा

VARANASI: 'भइया, बिना आपके शहर में एक कदम चलना मुश्किल है। पूरा शहर आपसे ही चलता है तो भला आपके बिना पॉलिटिक्स कैसे चलेगी? इज्जत और तरक्की आपके लिए भी उतनी जरूरी है जितना लग्जरी व्हीकल्स में चलने वालों के लिए, यही वजह है कि सबके साथ ही रिक्शावालों को सुनने, उनके दर्द को समझने और उनकी चाहत के मुताबिक पॉलिटिक्स करने की कोशिश में मैं आपके बीच आया हूं.' ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि कांगे्रस उपाध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी के हैं। राहुल शनिवार को कैंट स्टेशन पर रिक्शा पुलर्स और ऑटो ड्राइवर्स की चौपाल में उनका दुख-दर्द सुनने पहुंचे थे।

सुनाने नहीं सुनने आया हूं

राहुल गांधी कैंट स्टेशन पर लगभग डेढ़ घंटे तक रिक्शा पुलर्स के बीच रहे। वो रिक्शावालों की पीड़ा व दर्द सुनने के बाद भावुक हो गए। कहा, आप लोगों के बीच बड़े-बड़े नेता लंबा-चौड़ा भाषण दे जाते हैं, बड़े-बड़े वादा कर जाते हैं। आप उन्हें वोट देते हो और सरकारें बनाते हो। और फिर वो आपकी बात नहीं सुनते। लेकिन मैं सुनाने नहीं आपकी बातें सुनने आया हूं। मुझे आज आपकी बात सुनना है, क्योंकि उससे आपके लिए प्लैन बनाना है। पहले पांच-छह नेता इलेक्शन मेनिफेस्टो बना देते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। जो आप कहेंगे वही मेनिफेस्टो में होगा।

यूपी में नहीं मिल रहा लाभ

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि केरल, आन्ध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में सेंट्रल गवर्नमेंट के बनाए कानून का लाभ गरीबों को मिल रहा है लेकिन यूपी व बिहार में गरीब इससे वंचित हैं। उनको इसका कोई लाभ नहीं मिल सका है। कहा कि गरीब वह है जिसके पांव के नीचे फर्श नहीं। जो कीचड़ और गंदगी के बीच अपना जीवन-यापन कर रहा है। यूपीए गवर्नमेंट ने एक कोशिश की है उन्हें काफी हद तक फर्श देने की। मनरेगा, फूड सिक्योरिटी बिल, आरटीआई व एजुकेशन राइट जैसे कानून इसके उदाहरण हैं।

झूठे वादे नहीं

आपने हमसे अपनी समस्याएं बताई, दर्द बयां किया। आपकी बातों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। लेकिन यह कहिए कि मैं आपको फ्री रिक्शा और ऑटो दिलाने जैसे झूठे वादे नहीं कर सकता। आपको सुनकर कई ऐसी बातें सामने आई हैं जो हम कर सकते हैं और मौका मिलने पर हम इस पर अमल जरूर करेंगे यह मेरा वादा है। चौपाल के बीच राहुल ने पूछा, क्या आप अपने बच्चों से भी रिक्शा चलवाओगे? इसके जवाब में 'नहीं' सुनने के बाद उन्होंने कहा कि आप उन्हें जो बनाना चाहो, वह आपका अधिकार है और उसके लिए काम करना हमारी जिम्मेदारी। मैंने आपसे बात कर आपका दर्द समझने की कोशिश की है। इस दर्द को तो पूरी तरह रिक्शा चलाकर ही समझा जा सकता है। मन में आता है कि एक दिन चलाकर भी देखूं। कहने का साफ साफ मतलब यही है कि आपकी भावना समझकर राजनीति के मुद्दे तय करने के लक्ष्य से हम आपके बीच आए हैं। मैं आपका आभारी हूं कि आपने अपनी कमाई रोककर मुझे आज अपना कीमती समय दिया।

Posted By: Inextlive