रेल मंत्री के विचार से रेल यात्री नहीं रखते इत्तेफाक

रेल मंत्री के ट्विट पर लोगों ने निकाली अपनी भड़ास

ALLAHABAD: कोहरे के कारण ट्रेनों की घंटों लेट लतीफी के साथ ही कैटरिंग सुविधाओं को लेकर रेल मंत्रालय जहां पैसेंजर्स के निशाने पर रहता है। वहीं गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर रेल मंत्री पियूष गोयल ने रेलवे की सुविधाओं और सेवाओं को घर का एहसास दिलाने वाला बताते हुए ट्विट किया है। उनके इस ट्विट और विचार से पैसेंजर्स इत्तेफाक नहीं रखते। ज्यादातर पैसेंजर्स ने ट्विट कर रेलवे की व्यवस्था पर सवाल उठाया है।

कई ने निकाली अपनी भड़ास

रेल मंत्री ने ट्विट में लिखा है कि 'सफर जिंदगी का हो या ट्रेन का, दोनों में कुछ है जो एक जैसा है हर सफर में कुछ तो घर जैसा एहसास है, हर ट्रेन में कुछ तो घर वाली बात है'

रेल मंत्री के इस ट्विट पर ढेरों कमेंट आए हैं। जिसके जरिये लोगों ने रेल मंत्री के विचार पर ही सवाल उठाए हैं। देवेंद्र कुशवाहा ने लिखा है कि 25 जनवरी को वे इलाहाबाद से शाहजहांपुर के लिए नौचंदी एक्सप्रेस के एस-9 कोच में सवार हुए। ट्रेन 6.45 पर चली, लेकिन न तो कोई खाने का आर्डर लेने आया और न ही कोई डिब्बा बेचने वाला। क्या यही सुविधा है, ट्रेन के सफर में।

घर और ट्रेन में कोई तुलना नहीं

रेल मंत्री के ट्वीट पर प्रखर श्रीवास्तव ने लिखा है कि सफर में घर के एहसास की बात कही जा रही है, वहीं प्रीमियम ट्रेन नौ से दस घंटे लेट चल रही है। संजय कुमार मिश्रा ने कमेंट किया है कि रेल मंत्री बस टिकट कनफर्म दिला दें, वही बहुत होगा। ना घर जैसी ट्रेन होगी और न ट्रेन जैसा घर। देश की जनता समझ चुकी है। जुमले छोड़ने में बीजेपी माहिर हो चुकी है।

रेल मंत्री जी का इशारा सफाई को लेकर है कि ट्रेन व स्टेशन को अपने घर की तरह समझें। व्यक्ति जिस प्रकार अपने घर को सुरक्षित रखता है उसी प्रकार अनजान वस्तु दिखने पर तुरंत सूचना दे।

विवेक गोंड

रेल मंत्री की पहली लाइन सही है कि जिंदगी और ट्रेन के सफर में कुछ समानता है। जैसे जिंदगी का सफर उलझनों भरा और परेशानियों भरा होता है वैसे ही ट्रेन का सफर भी होता है।

दिनेश यादव

मैं इस सोच का सामना करता हूं, अगर ऐसा होता है तो रेलवे की छवि में काफी सुधार देखने को मिलेगा, जो कहीं न कहीं से लोगों के लिए बेहद लाभदायक होगा।

सोहित मिश्रा

पोस्ट तो मंत्री का ट्रेन सफर को घर की तरह सुरक्षित आरामदायक बनाने की तरफ है, पर ऐसा कर देंगे तब तो। ऐसे ट्वीट बहुत होते रहते हैं।

वकील यादव

अभी तो ऊंट के मुंह में जीरा वाली बात है। आज भी इंडियन रेलवे में बहुत कुछ सुधारा जाना बाकी है।

उज्जवल मिश्रा

Posted By: Inextlive