यह भी जानें

5 नंबर प्लेटफॉर्म पर बरेली जंक्शन में नहीं है लाइट की प्रॉपर व्यवस्था

6 नंबर प्लेटफॉर्म पर पर दूर-दूर तक पसरा रहता है अंधेरा

10 से ज्यादा हर दिन होती हैं अपराध की घटनाएं, लूट और सामान चोरी के मामले आते हैं सामने

11 हजार से ज्यादा पैसेंजर्स बरेली जंक्शन से हर रोज करते हैं सफर

8 हजार के करीब पैसेंजर्स बरेली सिटी स्टेशन करते हैं यात्रा

3 प्लेटफॉर्म में 2 प्लेटफॉर्म पर इज्जतनगर में रहता ट्रेनों का आवागमन

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बरेली : रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म में डार्क जोन कई जगहों पर हैं। यहां प्रॉपर लाइटिंग नहीं है। अंधेरा पड़ रहा था। इसी अंधेरे के बीच यात्रियों को ट्रेन का इंतजार पड़ता है। अंधेरे की वजह से अपराध को बढ़ावा मिल रहा है। लोगों में हमेशा डर बना रहता है कि उनके साथ कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने बरेली जंक्शन, बरेली सिटी स्टेशन और इज्जतनगर नगर रेलवे स्टेशन पर डार्क जोन का रिएलिटी चेक किया तो तीन स्टेशनों पर कई जगह प्रॉपर लाइट नहीं मिली।

बरेली जंक्शन - रात 10.30 बजे

बरेली जंक्शन ट्रेनों और यात्रियों की संख्या के हिसाब से सबसे रश वाला स्टेशन है। यहां 6 प्लेटफॉर्म हैं। यहां 5 और 6 नंबर पर प्रॉपर लाइट नहीं है। आईनेक्स्ट की टीम छह नंबर प्लेटफॉर्म पर पहुंची तो दूर-दूर तक अंधेरा पसरा हुआ था। प्लेटफॉर्म पर लोग सोते हुए मिले तो कुछ टहलते हुए। कई यात्री ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे। यात्रियों ने बताया कि लाइट न होने की वजह से यहां परेशानी ही परेशानी है। हमारा तो छोडि़ए हमें लगेज की काफी चिंता बनी रहती है।

सिटी स्टेशन - रात 11 बजे

सिटी स्टेशन का हाल बरेली जंक्शन से जुदा नहीं है। यहां भी प्लेटफॉर्म डार्क जोन बना हुआ है। प्लेटफॉर्म पर कई जगह लोग अंधेरे में बैठे मिले। यहां भी शिकायत यही थी कि समस्या आज से नहीं है। लाइट कभी जलती है तो नहीं जलती। कभी कभी तो दूर तक अंधेरा पसरा रहता है। यहां कई लोग बिना किसी वजह के बैठे हुए मिले। इनसे कोई पूछने वाला नहीं था कि यहां क्यों बैठे हैं। टीम में जानकारी लेनी चाहिए तो जवाब मिला कि रोज बैठते हैं।

इज्जतनगर स्टेशन- रात 11.30 बजे

इज्जतनगर रेलवे स्टेशन साफ सफाई और बेहतर व्यवस्था के मामले में दूसरे स्टेशनों के लिए उदाहरण है, लेकिन हमें यहां भी डार्क जोन मिला। आईनेक्स्ट की टीम ने यहां अंधेरे की उम्मीद नहीं की थी। लेकिन जैसे ही एंट्रेस पर पहुंचे तो बाईं ओर दूर-दूर तक अंधेरा पसरा हुआ था। लोग आ जा रहे थे। लेकिन किसी का ध्यान अंधेरे की ओर नहीं थी। स्टेशन के अंदर प्लेटफॉर्म व्यवस्था बेहतर थी। दूर-दूर दूध जैसी रोशनी थी। लेकिन बाहर में टीम को अंधेरा पसरा मिला।

लाइट तो होनी ही चाहिए

मैं रेलवे में ही ड्यूटी करता हूं। ट्रेन के अंदर मेंटीनेंस का काम देखता हूं। छह नंबर प्लेटफॉर्म पर अक्सर आना जाना होता है। यहां तो हाल ऐसा ही रहता है। अंधेरा पसरा रहता है। बाकी प्लेटफॉर्म पर लाइट है।

- सुरेश चंद्र, रेलवे कर्मचारी

यहां तो व्यवस्था ठीक है। हां, लेफ्ट साइड अंधेरा पड़ा हुआ है। दूर से देखने में तो कुछ पता ही नहीं चलता कि वहां कौन बैठा है। जब सब जगह लाइट है तो यहां लाइट लगाने में क्या परेशानी है। इस ओर तो डर बना रहता है।

- खालिद

- रेलवे को लाइट लगानी चाहिए। खतरा तो बना ही रहता है। लाइट लग जाएगी तो पैसेंजर भी अवेयर रहेंगे और अपनी सुरक्षा खुद भी कर सकेंगे। वैसे हम लोग चक्कर लगाते रहते हैं। जनरल से उतरकर पैसेंजर इसी ओर आ जाते हैं, सोते रहते हैं।

- जीआरपी इंस्पेक्टर

Posted By: Inextlive