- प्लास्टिक बॉटल और वेस्ट को री-साइकिल कर बेंच और जरूरी सामान बनाएगा रेलवे

- स्टेशन पर लगाई जाएंगी बेंचेज और री-साइकिल प्लास्टिक से बने सामान

- प्रॉपर डिस्पोजल के साथ पैसेंजर्स की फैसिलिटी होगी बेहतर

- गोरखपुर में भी कंपनी को दिया गया प्लास्टिक वेस्ट री-साइकिल करने का ठेका

GORAKHPUR: गोरखपुर जंक्शन पर पैसेंजर्स एमिनिटीज के लिए काफी कुछ वर्क चल रहे हैं। बेंच, लिफ्ट, एस्केलेटर जैसी फैसिलिटीज मुहैया कराई जा रही हैं, तो वहीं लुक और फील भी बेहतर की जा रही है। अब रेलवे का खास ध्यान वेस्ट मैनेजमेंट पर भी है। खासतौर पर प्लास्टिक वेस्ट के लिए रेलवे ने मुहिम छेड़ दी है। वॉटर बॉटल को रीसाइकिल कर अब इससे पैसेंजर्स की जरूरत के सामन बनाए जाएंगे। इसकी पहल वेस्टर्न रेलवे ने कर दी है। वहां प्लास्टिक वेस्ट को रीसाइकिल कर खास बेंच तैयार की गई है, जिसे जंक्शन पर भी इंस्टॉल कर दिया गया है। अब इसे दूसरे रेलवे में भी लागू करने की तैयारी की जा रही है, जिससे कि वेस्ट डिस्पोजल भी हो जाएगा और पैसेंजर्स को बैठने और ट्रेन का इंतजार करने के लिए जरूरी सामान भी मिल जाएंगे।

वेस्ट के बदले रेलवे को पेमेंट

बॉटल क्रशिंग मशीन खाली प्लास्टिक की बोतलों का निस्तारण करेगी। इससे निकलने वाले कचरे को रिसाइक्लिंग प्लांट में भेजा जाएगा। वहीं जो प्लास्टिक री-साइकिलेबल है, इसे कंपनी लेकर सेग्रीगेट किया जाएगा, जिसे कंपनी साथ लेकर जाएगी और इसके बदले में रेलवे को प्रति किलो के हिसाब से पैसे अदा करेगी। रेलवे ने इसके लिए संस्था से टाईअप किया है, जिससे कि जंक्शन से प्लास्टिक वेस्ट का प्रॉपर डिस्पोजल हो जाए। वहीं जो बचे कचरे होंगे, उनका डिस्पोजल वैसे ही होगा, जैसे होता आ रहा है।

जंक्शन पर होगी निगरानी

दुनिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म का तमगा हासिल करने वाले जंक्शन को साफ-सुथरा और पॉलीथिन फ्री बनाने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है। अब जंक्शन पर पॉलीथिन के इस्तेमाल पर बैन लगाने के साथ ही जिम्मेदारों को इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। जो पैसेंजर पॉलीथिन का इस्तेमाल करते मिलेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। वहीं सफाईकर्मियों को भी इस बात के लिए निर्देशित किया गया है कि जंक्शन पर अगर कोई पॉलीथिन या इसके मैटेरियल्स मिलें, तो इसे तत्काल डिस्पोज करें।

चलती ट्रेंस में भी व्यवस्था

जंक्शन के साथ ही चलती ट्रेंस में भी सिंगल यूज वाली पॉलीथिन पर रोक रहेगी। प्लास्टिक के साथ ही खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले थर्माकोल के प्लेट, ग्लास और सामान भी लोग नहीं ले जा सकेंगे। पैसेंजर्स वॉटर बॉटल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसको भी इधर-उधर न फेंक दिया जाए, इसके लिए जिम्मेदारों ने ट्रेन में चलने वाले सफाई-कर्मचारियों को यह जिम्मा सौंपा है कि अगर उन्हें खाली बॉटल नजर आए, उसे तत्काल वहां से हटाएं और इसको प्रॉपर डिस्पोज करने के लिए इसे बॉटर क्रशर मशीन में डालें।

वर्जन

प्लास्टिक वेस्ट से बेंच बनाने के लिए पाइलट प्रोजेक्ट के तहत पहल हुई है। गोरखपुर में भी वेस्ट को प्रॉपर रीसाइकिल करने के लिए कंपनी से टाईअप हुआ है, यह प्लास्टिक वेस्ट को सेग्रिगेट कर इसमें से रीसाइकिलेबल प्लास्टिक साथ ले जाएगी और इसके एवज में रेलवे को पेमेंट करेगी।

- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

Posted By: Inextlive