श्रीलंका में राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना और महिंदा राजपक्षे को जोरदार झटका लगा है। संसदीय समिति के गठन में जबरन हटाए गए प्रधानमंत्री रणिल विक्रमसिंघे की जीत हुई है।

कोलंबो (पीटीआई)। श्रीलंका में राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना और महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार को लगातार झटके लग रहे हैं। एक महत्वपूर्ण संसदीय समिति के गठन में हटाए गए प्रधानमंत्री रणिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले गठबंधन ने शुक्रवार को जीत हासिल की है। संसद की नवगठित समिति में विक्रमसिंघे को बहुमत मिलने के बाद सिरीसेना की पार्टी के सांसदों ने सदन का बहिष्कार कर दिया। वे समिति के गठन के सिलसिले में प्रस्ताव पेश करने की इजाजत देने से स्पीकर कारू जयसूर्या के कदम से नाराज थे।
सोमवार को शुरू होगी संसद की कार्यवाही
समिति के गठन के बाद स्पीकर ने संसद की कार्यवाही टाल दी, जिसे सोमवार को दुबारा शुरू की जाएगी। नवगठित शक्तिशाली संसदीय समिति में पांच सदस्य विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले यूनाइटेड नेशनल फ्रंट के हैं जबकि एक-एक तमिल नेशनल एलायंस और जनता विमुक्ति पेरामुना के हैं। बता दें कि समिति में जो सदस्य हैं, उनके नाम का एलान स्पीकर जयसूर्या ने किया। गौरतलब है कि श्रीलंका में समिति के अध्यक्ष राष्ट्रपति होते हैं। संसद के इस ताजा मामले के बाद श्रीलंका का राजनीतिक संकट और ज्यादा गहरा हो गया है। इस विवाद की शुरुआत तब शुरू हुई, जब 26 अक्टूबर को राष्ट्रपति मैत्रिपला सिरीसेना ने प्रधानमंत्री रणिल विक्रमेसिंघे को उनके पद से बर्खास्त कर दिया था और उनकी जगह महिंदा राजपक्षे को नियुक्त कर लिया। हालांकि तब से, विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास को नहीं छोड़ा है, वे बार बार यही कह रहे हैं कि वह अभी भी वैध प्रधानमंत्री हैं और संसद में उनके पास ज्यादा बहुमत है।

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Posted By: Mukul Kumar