राजकुमार राव की 'शादी में जरूर आना', और बीच में छोड़कर न जाना!
कहानी :
एक अरेंज्ड मैरेज से साथी बने और फिर प्रेमी बने एक युगल की ज़िंदगी में ऐन शादी के पहले एक भूचाल आ जाता है और शादी एक दुश्मनी में बदल जाती है, फिर क्या होता है, शादी का कार्ड फिर छापता है, या नही पता लगाने के लिए देखिये ये फिल्म।
समीक्षा
ये फिल्म एक बढ़िया फ़िल्म हो सकती थी, इनफैक्ट इसका फर्स्ट हॉफ बेहद बढ़िया लिखा हुआ है, किरदार भी हमारे आपके परिवार जैसे हैं और उनके सुख दुख भी इस दुनिया के ही लगते हैं। आपको हर एक किरदार में अपना कोई जानने वाला दिखाई दे जाएगा। इस लिहाज से फ़िल्म अपना काम ठीक से करते हैं। पर सेकंड हॉफ में फ़िल्म ओवर द टॉप ड्रामेटिक हो जाती है, मेलोड्रामा इतना ज़्यादा है कि ज़बान वैसे ही पलटने लगती है जैसे कि बेहद मीठी शक्कर की चाशनी खाने के बाद होता है, यही इस फ़िल्म का सबसे बडा माइनस पॉइंट है। शादी से जुडी हुई फिलमें नॉर्मली फॅमिली फिल्म्स होती हैं, ये फ़िल्म भी एक अच्छी फैमिली फ़िल्म हो सकती थी सेकंड हाफ की बेतरतीब और लाउड राइटिंग के चलते फ़िल्म वास्तविकता की पटरी से उतर जाती है। ओवरआल फिलम का लगभग हर टेक्निकल डिपार्टमेंट जैसे आर्ट और कॉस्ट्यूम बेहद सटीक है, पर फ़िल्म की एडिटिंग बहुत ही ज़्यादा फौलटी है, जिससे फ़िल्म अपना असल रंग सेकंड हाफ में ही खो देती है। फिल्म का संगीत अच्छा है, और कुछ गाने बेहद सुरीले हैं।
ये वो डिपार्टमेंट है जो इस फ़िल्म का सबसे उम्दा हिस्सा है, पूरी की पूरी कास्टिंग अच्छी है और इस लिहाज से फ़िल्म को अनइवन प्लाट के बावजूद देखने लायक बना के रखती है। यही कारण है कि फ़िल्म में आपका दिल और दिमाग लगा रहता है। सभी का काम टॉप नॉच है। कास्टिंग टीम को फुल मार्क्स।कुल मिलाकर ये एक देखने लायक फ़िल्म है और ये फ़िल्म इस साल की अच्छी फिल्मों में आ सकती थी अगर स्टोरी और स्क्रीनप्ले थोड़ा और कस कर लिखा जाता और फ़िल्म की एडिटिंग बेहतर होती। फिर भी इस शादी में जाएंगे तो आपको अफसोस नहीं होगा रेटिंग : ***
देखिए फिल्म का मजेदार ट्रेलर: