अथक प्रयासों और पूर्ण समर्पण से राष्ट्रपिता की भूमिका निभाते हुए महात्मा गांधी ने इसकी कीमत भी चुकाई है। उन्हें अपनी पत्नी और बेटों को अधिक समय और ध्यान देना चाहिए था। उन्हें उनकी बातें सुननी चाहिए थीं। इस बात का अहसास खुद गांधी जी को भी था। यह बात खुद महात्मा गांधी के दिल में भी शूल की तरह चुभती थी।

पीछे छोडऩी पड़ी जिम्मेदारियां
यह बात महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी ने बुधवार को अपनी नई किताब "ह्वाई गांधी स्टिल मैटर्स" के विमोचन से पहले कही। उन्होने कहा कि महात्मा गांधी हर भारतीय के लिए प्रेरक थे। लेकिन गांधी अच्छे दोस्त होने के साथ ही एक बेहतरीन पति और बेहतरीन पिता भी हो सकते थे। उन्होंने गुलाम भारत को आजाद कराने के अपने जुनून और सभी भारतीयों से मित्रवत होने के स्वभाव के चलते उन्हें अपनी कुछ जिम्मेदारियों को पीछे छोडऩा पड़ा।

लोग प्राय: आहत होते
यही कारण है कि गांधी जी के परिवार के लोग प्राय: आहत होते थे। लेखक राजमोहन गांधी का कहना है कि उनकी नई किताब बापू की इन्हीं खूबियों और उनकी धरोहरों का कई प्रसिद्ध और विवादास्पद घटनाओं के जरिए मुआयना किया गया है। उन्होने कहा कि भारत की आजादी के लिए लड़ते हुए उन्होंने दुनिया को बहुत सुंदर तोहफा सत्याग्रह दिया है।

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Posted By: Shweta Mishra