- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से ईसी रोड में क्रेवर्स कैफे में आयोजित की गई राजनी-टी

- मिलेनियल्स ने पहाड़ों में एजुकेशन और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काम करने वाले कैंडिडेट को वोट देने की कही बात

DEHRADUN: प्राइवेट जॉब में स्थानीय लोगों को तवज्जो दी जानी चाहिए. मॉल, फैक्ट्रियों सहित अन्य जगहों पर दूसरे राज्यों से पहले उत्तराखंड के लोगों को नौकरी दी जानी चाहिए. साथ ही यहां पर्यटन की दिशा में भी काम किए जाने की जरूरत है. स्टेट में कई ऐसी जगह हैं, जहां पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने के लिए काम किया जा सकता है. ऐसे में स्थानीय बेरोजगारों को भी रोजगार मिल सकेगा. वेडनसडे को ईसी रोड स्थित क्रेवर्स कैफे में आयोजित राजनी-टी में मिलेनियल्स ने यह बात सामने रखी. मिलेनियल्स ने कहा कि स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देने वाले कैंडिडेट को वोट कास्ट किया जाएगा.

मिलेनियल्स ने खोली पहाड़ की पोल

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से आयोजित राजनी-टी टॉक में मिलेनियल्स ने पहाड़ों की सच्चाई सामने रखी. 19 वर्षीय आरती ने सिस्टम की पोल खोलकर रख दी. उन्होंने कहा कि पौड़ी के जिस जीजीआईसी स्कूल में वह पढ़ी हैं, वहां ग्यारहवीं और बारहवीं क्लास में स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए टीचर्स ही नहीं थे. ऐसे में स्टूडेंट्स कैसे सुनहरे भविष्य का सपना देख सकते हैं. मिलेनियल्स ने पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि आज के समय में भी पहाड़ों पर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है. स्थिति ये है कि महिलाओं को प्रेग्नेंसी की हालत में चारपाई पर लाया जाता है और अस्पताल पहुंचने से पहले ही वह दम तोड़ देती हैं. न तो वहां सड़क है, न पानी और न ही एजुकेशन. दवा तक लेने के लिए लोगों को देहरादून आना पड़ता है. कहा कि हमारे पास खूबसूरती का अंबार है. पहाड़ में कई जगह बेहद खूबसूरत हैं. इसके बावजूद किसी की भी ओर से पर्यटन की दिशा में कोई खास काम नहीं किया जा रहा है. यदि यहां छोटी-छोटी डेस्टीनेशन को ही सुधार दिया जाए, वहां का कायाकल्प कर दिया जाए तो एक तो यहां पर्यटन आएंगे और साथ ही स्टेट के बेरोजगार यूथ को काम मिल सकेगा. मिलेनियल्स ने इस बात पर जोर दिया कि पहाड़ों पर एजुकेशन सिस्टम सुधारा जाए. क्योंकि एक बार जब स्टूडेंट एजुकेशन लेने के लिए पहाड़ से नीचे उतर जाते हैं तो वह फिर वापस वहां नहीं जाते हैं, बल्कि जॉब के लिए भी शहरों की ओर ही रूख करते हैं. मिलेनियल्स ने एक्जांपल देते हुए कहा कि कई एनजीओ ने पहाड़ों पर बेहतर काम किए हैं. स्थिति ये है कि इससे जहां गांव की महिलाओं को स्वरोजगार मिल रहा है वहीं, वह आत्मनिर्भर भी हो रही हैं और बंजर गांव आज के समय में हरे-भरे हो गए हैं. यही नहीं इन संस्थाओं ने बेहतर हेल्थ सिस्टम भी डेवलप कर दिया है. जबकि कैंडिडेट सिर्फ वोट मांगने तक ही सिमट कर रह जाते हैं. इससे आगे कोई काम नहीं करते. कहा कि ऐसे कैंडिडेट को वोट दिया जाएगा जो वादे करने के बाद असलियत में काम भी करे. न कि उसे बाद में उसके वादे याद दिलाने पड़े, बल्कि पहले ही वह ऐसी कोई व्यवस्था कर दे कि हमें उसकी बात पर विश्वास हो जाए कि वह काम करेगा ही करेगा. यदि वह कोई काम नहीं भी कर पाता है तो कम से कम जनता को सॉरी तो बोल ही दे, साथ ही अगली बार के लिए काम का वादा कर दे.

मेरा मुद्दा

मैंने पौड़ी के जिस जीजीआईसी स्कूल से पढ़ाई की है, वहां ग्यारहवीं और बारहवीं क्लास को पढ़ाने के लिए टीचर ही नहीं थे. हमने बिना शिक्षक पढ़ाई की है. पहाड़ के एजुकेशन सिस्टम के हालात देखते हुए ही दून आई हूं. आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत नहीं है तो खुद जॉब करके आगे की पढ़ाई कर रही हूं, क्योंकि पढ़ाई के लिए यहां रहना जरूरी है और उसके लिए खर्चे भी निकालने होंगे.

आरती, धर्मपुर चौक

महिला सुरक्षा के मुद्दों पर बात तो होती है, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम नहीं होता है. सबसे पहले तो इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही पहाड़ों का विकास किए जाने की जरूरत है. ताकि यूथ को वहां रोका जा सके. यदि ऐसा नहीं होगा तो यूथ लगातार शहर की ओर आएंगे और गांव खाली होते जाएंगे और गांव का विकास नहीं हो पाएगा. दीपिका, सहस्त्रधारा रोड

स्टेट में ट्रैफिक व्यवस्था भी सुधारे जाने की जरूरत है. साथ ही महिलाओं की सेफ्टी के लिए भी काम होना चाहिए. वहीं महिलाओं को इतना सशक्त बनाया जाए कि वह अपनी लड़ाई खुद लड़ सकें. रात में घर से निकलने में महिलाएं कतराती हैं. एक पुरुष को ये सब नहीं सोचना पड़ता लेकिन, महिलाओं का ये डर कैसे दूर होगा इसके लिए कोई काम नहीं करता है. इस दिशा में ठोस रणनीति बनाकर काम होना चाहिए.

शिप्रा, बंजारावाला

यदि मैं अपने वोट की बात करूं तो जो राज्य के साथ राष्ट्र हित, एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक की बात करेगा, मैं उसको ही अपना वोट दूंगा. राज्य का विकास तो जरूरी है ही लेकिन इसके साथ ही राष्ट्र की सुरक्षा को भी जो तवज्जो दे. आर्मी वालों के परिवारों को विशेष सुविधाएं दें, ऐसे कैंडिडेट को ही मैं इस बार अपना वोट दूंगा.

- अंकुर वर्मा, बंजारावाला

हिमाचल प्रदेश में कई चीजों को लेकर बेहतर काम हो रहा है. पर्यटन की दिशा में ही देखा जाए तो वहां विकास कार्य लगातार हो रहे हैं, जबकि उत्तराखंड में कई खूबसूरत डेस्टीनेशन होने के बावजूद इस दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है. यदि इस ओर ध्यान दिया जाए तो गांव के लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा और पलायन भी रुक सकेगा.

- रोहित सिंह, सहस्त्रधारा रोड

राज्य में रोजगार को लेकर काम होना चाहिए. हमारे यूथ रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में दूसरे राज्यों की ओर रूख कर रहे हैं. वे पहाड़ से ही नहीं बल्कि अपने राज्य से, अपने परिवार से भी दूर होते जा रहे हैं. जबकि पहाड़ों में ही उद्योग लगाकर उनको रोजगार दिया जाना चाहिए. जब यूथ यहीं होगा, तभी यहां के विकास की बात और काम होगा.

- विनोद सेमवाल, कंडोली

मसूरी से ही बात शुरू करें तो यहां रास्ते में कई खूबसूरत झरने रास्ते में पड़ते हैं. आगे जाते-जाते कई डेस्टीनेशन भी ऐसी आती हैं, जिन्हें देखते ही लगता है कि यदि इनका डेवलपमेंट कर दिया जाए तो वाकई में आसपास के लोगों को रोजगार मिल सकेगा. इसी तरह से पहाड़ में काम किया जा सकता है.

- हरेंद्र सिंह चौहान, बंगाली कोठी

राज्य गठन को 18 वर्ष पूरे हो चुके हैं. लेकिन ऐसा क्यों है कि आज भी वो समस्याएं बनी हुई हैं जो तब बनी हुई है. इसका मतलब है कि जनप्रतिनिधि पहाड़ों की ओर रूख नहीं करते हैं. यदि करते तो विकास अवश्य होता. जनप्रतिनिधि जहां पहुंचे, विकास की बात करें, वहीं से उनको वोट दिया जाए.

- अनत गैरोला, सारथी विहार

राज्य में कई मॉल्स और इंडस्ट्री हैं, लेकिन उनमें कार्य करने वाला स्टाफ दूसरे राज्यों से है. हम उसके विरोध में नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों को यदि इसमें तवज्जो दी जाए. तो यहां के युवाओं को यहीं रोजगार मिल जाएगा. कहा कि दूसरे राज्यों की तरह यहां भी इस बात पर फोकस किया जाना चाहिए.

- विनीत, कारगी चौक

कड़क बात

कुछ एनजीओ पहाड़ों पर बेहतरीन कार्य कर रहे हैं. उनसे सीख लेते हुए हमारे कैंडिडेट भी जीतने के बाद गांव का विकास कर सकते हैं. उनके पास अधिक पावर होगी तो वह काम भी स्ट्रांग तरीके से कर सकेंगे. यदि वह कोशिश करें तो वह एनजीओ से भी बेहतर कार्य कर सकते हैं, बशर्ते उनके पास जज्बा हो तो सब कुछ हो सकता है.

- निर्मल सिंह नेगी

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

राजनी-टी में मिलेनियल्स ने एक-दूसरे को ये भी कह दिया कि इशारों में ही सही आप बताओ कि किसको वोट दोगे. इस मौके पर एक यूथ सबसे सीधे पार्टी का नाम जानना चाह रहा था, हालांकि इस दौरान दूसरे यूथ इस बात को समझ गए और पार्टी विशेष का नाम लिए बिना मुद्दों पर फोकस करने लगे. इस बात पर वहां बैठे सभी लोग मुस्कुराने लगे.

Posted By: Ravi Pal