RANCHI: राज्य में राज्यसभा की दो सीटों के लिए नाम वापसी की तारीख बीत चुकी है और अब 26 मार्च को मतदान होंगे। राजद के प्रेमचंद गुप्ता और निर्दलीय परिमल नाथवाणी का कार्यकाल इस वर्ष 9 अप्रैल को पूरा हो रहा है। उनकी जगह लेने के लिए तीन उम्मीदवार मैदान में मौजूद हैं। जेएमएम ने शिबू सोरेन को उम्मीदवार बनाया है तो बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को और कांग्रेस ने शहजादा अनवर पर दावं खेला है। शिबू सोरेन का राज्यसभा जाना तय है। वहीं, बीजेपी के उम्मीदवार के पास भी पर्याप्त आंकड़ें हैं, लेकिन कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारकर चुनाव में चासनी डाल दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया को झारखण्ड प्रदेश राज्यसभा चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है, जो अगले दो दिनों में रांची पहुंचेंगे और जोड़-तोड़ तेज हो जाएगी।

एक-एक सीट का गणित है

झारखंड विधानसभा में मौजूदा हालात में एक सीट सत्ता पक्ष को तो दूसरा विपक्ष के खाते में जाता दिख रहा है। अंकगणित बता रहा है कि सत्ता पक्ष के 48 विधायक एक सीट को आसानी से जीत लेंगे, जबकि दूसरी सीट के लिए 28 वोट चाहिए होंगे। महागठबंधन को अपने अलावा माले विधायक विनोद सिंह और राकांपा के विधायक कमलेश सिंह का साथ मिल सकता है। उधर, विपक्षी खेमा बीजेपी के पास 27 के आंकड़े हैं और आजसू के दो वोट को मिला लें तो यह आंकड़ा 29 हो जाता है। निर्दलीय विधायक अमित यादव और सरयू राय भी बीजेपी के पक्ष में हैं। ऐसे में पक्ष और विपक्ष एक-एक सीट जीतने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं।

बीजेपी के एक वोट पर संशय

बीजेपी विधायक ढुलु महतो फिलहाल वारंटी हैं और फ रार चल रहे हैं। वो सदन की कार्यवाही में भी शामिल नहीं पाये हैं, ऐसे में उनके वोट को लेकर स्थिति अबतक स्पष्ट नहीं हुई है। इन परिस्थितियों के बावजूद बीजेपी के उम्मीदवार के पास जीत के पर्याप्त आंकड़े हैं, वैसे भी झारखंड में राज्यसभा चुनाव बीत जाने के बाद भी कुछ निशान छोड़ जाने के लिए चर्चित रहा है। चाहे हॉर्सट्रेडिंग की बात हो या फिर वोट के लिए धमकाने का। एक वरिष्ठ आईपीएस को कुछ दिनों पूर्व ही सरकार ने इसी मामले में सस्पेंड किया है।

1 वोट से जीते थे धीरज साहू

2018 का राज्यसभा चुनाव भी बेहद दिलचस्प रहा था। उस वक्त कांग्रेस ने क्रॅास वोटिंग के जरिये महज दशमलव 1 वोट से बीजेपी के उम्मीदवार प्रदीप संथालिया को हराकर धीरज साहू को राज्यसभा पहुंचाया था। इस बार सियासी दृश्य बदला हुआ है, उस वक्त बीजेपी की सरकार थी और इस वक्त महागठबंधन की सरकार है। ऐसे में गेंद की गुगली से सियासत के खेल जीतने की कोशिश होगी।

Posted By: Inextlive