रक्षाबंधन का पर्व रक्षा एवं स्नेह का प्रतीक होता हैजो व्यक्ति रक्षा सूत्र बंधवाता हैवह बांधने वाले की रक्षा का सदैव प्रण लेता है। इस पर्व को श्रावणी पूर्णिमा अथवा नारियल पूर्णिमा भी कहते है।


राखी बांधने का विशेष मुहूर्तप्रातः 5.54 से प्रातः 7.31 तक शुभ के चौघड़िया में।अपराह्न: 12.24 से 2.02 तक लाभ, अमृत के चौघड़िया में।रक्षाबंधन अनुष्ठान मुहूर्त: प्रातः 5.54 से सांय 5.59 तक।रक्षा बंधन की कथाभविष्यपुराण के अनुसार देवता एवं दानवों के बीच युद्द में दानवों का पलड़ा भारी होने से भगवान इंद्र घबराकर देवताओं के गुरु बृस्पतिदेव के पास गए,वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी अपने पति का वृतान्त सुन रहीं थीं, तो उन्होंने रेशम का धागा अपने मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके विजय की कामना करते हुए अपने पति के हाथ पर बांध दिया वह श्रावण पूर्णिमा का ही दिन था। इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए, तब से ही श्रावण पूर्णिमा के दिन यह परंपरा चली आ रही है। स्कन्द पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार वामन अवतार नामक कथा में भी ऐसा ही प्रसंग मिलता है।


स्वतंत्रता दिवस पर ध्वज योगइस बार स्वतंत्रता दिवस पर बनने वाला 'ध्वज योग' विशेष है, इसके साथ ही 'सौभाग्य योग' के साथ 'सिद्ध योग' भी विशिष्ट है। इस दिन पूर्णिमा तिथि का आरम्भ दोपहर 3.46 (14 अगस्त 2019) तथा समाप्ति सांय 5.59 गुरुवार (15 अगस्त 2019)

को होगी। शिव आराधना की द्रष्टि से भी श्रवण युक्त पूर्णिमा सर्व श्रेष्ठ मानी जाती है। रक्षा सूत्र का सम्बंध भी श्रवण नक्षत्र से होता है क्योंकि सरसों,केसर,चंदन,अक्षत,दूर्वा,सुवर्ण आदि को एक पोटली में बांधकर उस वस्त्र को सूत्र में बांधकर पुरुष के दाहिने हाथ की कलाई में तथा स्त्री के वाम हाथ की कलाई में बांधने पर रक्षाबंधन हो जाता है।उत्साह व स्फूर्ति प्रदान करता है रक्षा सूत्रश्रवण नक्षत्र में बांधा यह रक्षा सूत्र अमरता,निडरता,स्वाभिमान, कीर्ति,उत्साह एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाला होता है। पौराणिक काल में तो पत्नी अपनी पति की रक्षा के लिए इस प्रकार का बंधन किया करती थीं, लेकिन समयानुसार परंपरा बदलते बदलते अब भाई बहन के रिश्ते पर आ गई। इस वर्ष मुहूर्त काल में भद्रा का कोई प्रभाव नहीं रहेगा।Happy Raksha Bandhan 2019: इसलिए बहनें भाइयों की कलाई में बांधती हैं राखीकैसे करें व्रत

इस व्रत में प्रातः सविधि स्नान करके देवता,पितर तथा ऋषियों का तर्पण करें,दोपहर के समय ऊनी, सूती या रेशमी पीत वस्त्र लेकर उसमें सरसों केसर,चंदन,अक्षत तथा दूर्वा रखकर बांध लें फिर साफ करे हुए स्थान पर कलश स्थापना कर उस पर रक्षा सूत्र रखकर उसका यथाविधि पूजन करें ,उसके ब्राह्मण से रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बंधबाना चाहिये।इस दिन बहने स्नान कर अपने घर में दीवारों पर सोना का तुस रखतीं हैं फिर चावल दूध रखकर मिठाई से इसकी पूजा करती हैं, सोना के ऊपर खीर या मिठाई की सहायता से राखी के धागे चिपकाए जाते हैं,सामान्य परम्परा के अनुसार रक्षा बंधन के दिन बहन भाई को तिलक लगाकर हांथ में नारियल ,रुमाल आदि रखकर ,राखी बांधकर ,मिष्ठान खिलाकर मुँह मीठा करती हैं।रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र:-येन बद्दो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलःतेन त्वमनुबंधनामी रक्षे मा चलमाचल।-ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्माHappy Raksha Bandhan 2019: भगवान विष्णु ने राजा बलि की कलाई में बांधा था धागा, पढ़ें पूजा विधि, कथा, इतिहास व महत्व

Posted By: Vandana Sharma