रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे देश में 3 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। आइए जानें इस बार क्या है शुभ मुहुर्त और किस समय बांधनी चाहिए राखी।

कानपुर। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन त्रिमुहूर्त व्यापनी भद्रा रहित काल में रक्षा बन्धन का पर्व मनाया जाता है। इस बार रक्षाबन्धन का पर्व दिनाँक 03 अगस्त 2020, दिन सोमवार को पड़ रहा है। शास्त्रीय मान्यता अनुसार भद्रा में राखी बांधना निषेध होता है, क्योंकि श्रावणी राजा को क्षति करती है। परन्तु शास्त्र के अनुसार भद्रा का निवास तीनों लोकों में होता है, जिस समय भद्रा जहां निवास करती है फल भी वहीं का देती है। भद्रा निवास विचार के अनुसार चन्द्र राशि के अनुसार मेष, वृष, मिथुन (अश्वनि नक्षत्र से पुनर्वसु के तृतीय चरण तक) तथा वृश्चिक (विशाखा के चौथे चरण से ज्येष्ठा नक्षत्र के अन्त तक) के चन्द्रमा में होने पर भद्रा का निवास स्वर्ग लोग में रहता है। इस बार भद्रा सूर्य उदय से प्रातः काल 9:28 बजे तक ही रहेगी। अत: प्रातः काल 9:28 बजे के बाद पूरे दिन त्योहार मनाया जा सकेगा। पंचाग के मुताबिक पूर्णिमा पूरे दिन रहकर रात्रि 9:29 बजे समाप्त होगी। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र प्रातः 7:19 बजे तक रहेगा तत्पश्चात श्रवण नक्षत्र लगेगा जोकि पूरी रात रहेगा।इस दिन प्रीति योग प्रातः 6:38 बजे तक रहेगा तत्पश्चात बेहद शुभ आयुष्मान योग अगले दिन तक रहेगा।

सावन के सोमवार का संयोग
शास्त्रों के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा/रक्षाबंधन पर अधिकतर भद्रा का साया देखा गया है परन्तु श्रावणी पूर्णिमा पर सावन के सोमवार का संयोग होने के कारण भद्रा का अनिष्ट फल कम ही रहता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भद्रा का जन्म भगवान शिव के शरीर से हुआ।अतः भद्रा का दोष शान्त करने के लिए भगवान शंकर की पूजा उपयुक्त उपाय है।भगवान शिव और पार्वती की उपासना से भद्रा शुभ होती है। अतः रक्षाबंधन पर भद्रा का प्रकोप सूर्योदय से प्रातः 9:28 बजे तक रहेगा,यही समय भगवान शिव की पूजा/आराधना का श्रेष्ठ समय रहेगा।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

1.प्रातः काल:-9:29 से 10:46 बजे तक।
2.अपराह्न :- 3:45 से सायं 7:02 बजे तक।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari