-छह माह में राज्य महिला आयोग की चार बैठकें हुई

-शिकायत लेकर 32 महिलाएं पहुंचीं, सिर्फ दो का हुआ निस्तारण

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VARANASI

महिला उत्पीड़न की रोकथाम और न्याय दिलाना ही राज्य महिला आयोग का मकसद है, लेकिन पीएम के संसदीय क्षेत्र में स्थिति इसके उलट है। महिला आयोग पीडि़तों को न्याय दिला पाने में कुछ खास नहीं कर पा रहा है। पिछले छह महीने की बात करें तो आयोग की सिर्फ चार बैठक हुई हैं जिसमें 32 महिलाएं पहुंचीं। उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई। फैक्ट यह है कि चार को छोड़कर बाकी 28 शिकायतें निस्तारण के बजाए फाइलों में दब कर रह गई।

जांच और कार्रवाई की होती है बात

राज्य महिला आयोग का महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता के दावे महज भाषणों तक सीमित है। हकीकत में यौन उत्पीड़न, अभद्रता, तीन तलाक, मारपीट, दहेज उत्पीड़न, देह व्यापार आदि की शिकार महिलाओं की फरियाद फाइलों में दम तोड़ रही है। सर्किट हाउस में आयोग की बैठक के दौरान कई विभागों के अधिकारियों की मौजूदगी में शिकायत के बाद जांच और कार्रवाई की बात होती है। उनकी रिपोर्ट में सच्चाई भी सामने आ जाती है, लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। यह कहानी उन 28 महिलाओं की है, जिन्होंने आयोग के समक्ष अपनी शिकायतें दर्ज करायी हैं।

बैठक और मामले

3 अक्टूबर 18 : तीन पीडि़ता पहुंचीं

नवम्बर 18 में : बैठक नहीं हुई

5 दिसम्बर 18 : पांच पीडि़ता पहुंचीं

16 जनवरी 19 : 11 पीडि़ता पहुंचीं

फरवरी में : बैठक नहीं हुई

6 मार्च 19 : 13 पीडि़ता पहुंचीं

आती हैं ऐसी शिकायतें

-नाबालिग से छेड़छाड़

-पति द्वारा देह व्यापार के लिए दबाव

-जबर्दस्ती तीन तलाक देने

-पति ने की छह शादियां

-पड़ोसी द्वारा मारपीट

-ससुराल पक्ष द्वारा उत्पीड़न

-जमीन का फर्जी बैनामा

-दस लाख दहेज की मांग

-दबंगों द्वारा जमीन पर कब्जा

वर्जन

महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकना सरकार की प्राथमिकता है। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। प्रत्येक विभागीय अधिकारियों से कहा गया है कि महिलाओं की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उसका फौरन निस्तारण करें।

मीना चौबे, सदस्य-राज्य महिला आयोग

मामलों के निस्तारण की जानकारी मुझे नहीं है। न तो मेरा पास कोई रिकॉर्ड है। पुलिस महकमे के प्रतिनिधि के तौर पर हर बैठक में मेरी उपस्थिति रहती है। इस दौरान पीडि़ता द्वारा जो भी शिकायत की जाती है, उसे संबंधित थाने को भेजा जाता है।

-बृजनंदन राय, सीओ कोतवाली

यह कहना गलत है कि आयोग की बैठक में पीडि़त महिलाओं द्वारा की गई शिकायतों का निस्तारण नहीं होता है। पिछली चार बैठक में 32 शिकायत पत्र आए हैं, जिनमें से दो-चार मामलों का निस्तारण हुआ है। बाकी कार्रवाई की प्रक्रिया में है।

प्रवीण त्रिपाठी, जिला प्रोबेशन अधिकारी

Posted By: Inextlive