- गांधी मैदान में रालोसपा की रैली

- बिहार का सीएम कैसा हो उपेन्द्र कुशवाहा जैसा हो, नारा खूब गूंजा

- हम जंगल राज में फिर से नहीं जाने देंगे बिहार को- उपेन्द्र कुशवाहा

PATNA : भारत सरकार के सेन्ट्रल मानव संसाधन मिनिस्टर स्मृति ईरानी और इसी डिपार्टमेंट के स्टेट मिनिस्टर उपेन्द्र कुशवाहा पटना में दो अलग-अलग बड़े आयोजनों में दिखे। एसके एम में बीजेपी महिला सेल की ओर से हुए आयोजन में जहां सुशील मोदी के लिए सीएम शब्द मुंह से निकलते-निकलते बचा वहीं गांधी मैदान में रालोसपा की रैली में कई नेताओं ने नारे लगाए बिहार का सीएम कैसा हो उपेन्द्र कुशवाहा जैसा हो। दिलचस्प ये कि बिहार में बीजेपी और रालोसपा का गठबंधन है।

निभाई ट्रैफिक की जिम्मेवारी

गांधी मैदान में राष्ट्रील लोक समता पार्टी की रैली में उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि अगर मैंने ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी नहीं संभाली होती तो हाजीपुर से बड़ी संख्या में लोग नहीं आ पाते गांधी मैदान। कहा कि ब्भ् मिनट तक ट्रैफिक पुलिस की जवाबदेही निभायी। ये अस्वाभाविक नहीं। सत्ता में बैठे लोग इतना न बौराए तो बेकार है। नीतीश कुमार की सत्ता जल्दी जानेवाली है।

मुझे फेंकने की कोशिश हुई

मुझे दूध की मक्खी की तरह निकालकर बाहर फेंक देने की कोशिश होती रही पर यह बिहार के लोगों का स्नेह है कि मैं यहां हूं। उसी स्नेह की बदौलत फ् मार्च को इसी गांधी मैदान में मैंने नई पार्टी बनायी।

किसानों की दशा ठीक होती तो बिहार की भी ठीक होती

बिहार, सूबे के बाहर मजाक का पात्र बन कर रह गया है। सत्ता बदली पर परिवर्तन नहीं हुआ यहां। किसान अपनी बदतर स्थिति लगातार भुगत रहे हैं। बोने से लेकर काटने और बेचने तक परेशान हैं किसान। रोज बद से बदतर होती जा रही है इनकी हालत। न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम पर भारत सरकार की राशि का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा। किसानों की दशा ठीक होती तो राज्य की दशा भी ऐसी नहीं होती।

पढ़ाई-लिखाई चौपट बिहार में

उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार में स्टूडटें्स की पढ़ाई-लिखाई चौपट होकर रह गई है। आर्थिक रूप से संपन्न लोग ही अपने बच्चों को बाहर के अच्छे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं बाकी लोगों के लिए जो सरकारी स्कूल हैं उसकी दशा बहुत ही खराब है। नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है और दोषारोपण मढ़ा जा रहा है शिक्षकों पर। बहाल कर आयोग्य कहा जा रहा है। सरकार की गलत नीति से ऐसा हुआ।

ये गर्व नहीं शर्म की बात

किसी टीचर को छह और किसी को फ्म् हजार रुपए दिए जा रहे हैं स्कूलों में। शिक्षक परेशानी में हैं। हम समय आने पर शिक्षकों की परेशानी दूर करेंगे। वित्त रहित शक्षिा नीति ठीक करेंगे। नीतीश कुमार के उस बयान को उन्होंने निशाने पर लिया जिसमें नीतीश कुमार अक्सर कहा करते हैं कि जहां कहीं भी वेकेन्सी निकले वहीं बिहारी स्टूडेंट्स जा सकते हैं, चांद पर भी। उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि ये गर्व नहीं बल्कि शर्म की बात है कि बिहार के स्टूडेंट्स को नौकरी के लिए दूसरे राज्यों की ओर जाना पड़ रहा है। बिहारी दर-दर की ठोंकरें खाएं ये ठीक नहीं। नौजवानों और किसानों को समस्याओं से बाहर निकालने का काम करना होगा।

उत्पादन में कमी

उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि चावल, गेहूं, मक्का उत्पादन में कमी आई है। ख्म्.भ् परसेंट की कमी आई है उत्पादन में। चावल में ख्0 परसेंट, गेहूं में क्9 परसेंट, मक्का में ब्7 परसेंट, गन्ना के उत्पादन में 7 परसेंट की कमी आई है। क्क्7.भ्ब् लाख हेक्टेयर की जगह म्8.ख् लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई हो रही है। हद ये कि 90 परसेंट सरकारी नलकूप बंद हैं। 7म् परसेंट निजी नलकूपों से सिंचाई हो रही है।

ख्8 में क्8 चीनी मिल चल रहे

बिहार में बिजली ही हालत बद से बदतर है। ख्0क्फ्-क्ब् में तीन हजार मेगावाट की जगह 9ब् मेगावाट उत्पादन हो रहा है। बाकी बिजली बिहार सरकार बाहर से मंगा कर दे रही है। चीनी मिलों की हालत कहा था सुधारेंगे वह भी नहीं सुधारा। ख्8 में से क्8 चीनी मिले बंद पड़ी हैं। कृषि कैबिनेट बनाने का मतलब क्या हुआ? कृषि रोड मैप की आधी राशि खर्च ही नहीं हो पायी। हमारी पार्टी चाहती है कि किसानों के लिए अलग से कृषि बजट बने। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल रहा। भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रहा पैसा। बिहार में तो गोदाम ही कम हैं। भंडारण की क्षमता ही नहीं है।

किताब की जगह बोतल

जीरो टोलरेंस की बात करते रहे हैं नीतीश कुमार। उन्हें हिम्मत है तो चारा घोटाले में इमारत बनाने वालों की इमारत जब्त कर उसमें स्कूल- हॉस्पीटल खोलें। एक करोड़ यूथ को पांच सालों में हुनरमंद बनाने की बात हुई। क्भ् साल बड़े भाई और क्0 साल छोटे भाई ने राज किया। ख्भ् साल में कुछ हुआ नहीं अब पांच साल और मांग रहे हैं। हुनरमंद नहीं बनाया बल्कि गांव-गांव शराब की दुकानें खुलवा दी। किताब की जगह बोतल पकड़वा दी। पुस्तकालय के बजाय मदिरालय खुलवा दिया। एक लाख हुनरमंदों की लिस्ट सामने कीजिए। ऐसे में बड़े भाई और छोटे भाई के मिलन से एनडीए की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विलय नहीं विलीन होने का फैसला लिया है नीतीश कुमार ने। स्वाभिमान के साथ राजनीति करने वाले जेडीयू कार्यकर्ता अभी भी रालोसपा में आ जाएं। बिहार को फिर से जंगलराज में लौटने नहीं देंगे। विधान सभा के बारे में चिंता की जरूरत नहीं है। लोक सभा से बेहतर विधान सभा में होगा.रैली में एमपी अरूण कुमार सिंह, एमपी राम कुमार शर्मा, एमएलसी संजीव श्याम सिंह, प्रो अभयानंद सुमन सहित कई नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी अपनी बातें रखी।

ये तो सीलिंग पंखे लेकर आ गए

कुछ उत्साही कार्यकर्ता रैली में सीलिंग फैन को बांस में बांध कर ले आए। सीलिंग फैन रालोसपा का चुनाव चिह्न है। सीलिंग फैन भारी होता है इसलिए एक फैन को लाने के लिए दो कार्यकर्ता लगे। ऐसे कई फैन जिंदाबाद के नारे के साथ गांधी मैदान लाए गए।

एक नारा जो छाया रहा

कुछ पोस्टरों में तो ये था ही कि बिहार का सीएम कैसा हो उपेन्द्र कुशवाहा जैसा हो, कार्यकर्ता ये नारे भी पूरे समय लगाते रहे कि बिहार की सीएम उपेन्द्र कुशवाहा जैसा हो।

टेंट, कुर्सी और पंखे

रैली में आमतौर पर लोग खुले में मौजूद रहते हैं। लेकिन इसमें पंडाल बनाया गया। पंडाल में पंखे लगाए गए। यही नहीं लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां भी लगाई गईं। लेकिन पंडाल स्थल से ज्यादा भीड़ की वजह से लोग खुले धूप में भी घंटों मौजूद रहे।

नियोजित टीचर भी डटे रहे

नियोजित टीचर बड़ी संख्या में रैली में पहुंचे। एमएलसी संजीव श्याम सिंह के नेतृत्व में ये पहुंचे थे। ये नारे लगाते रहे शिक्षकों के बिना विकास नहीं

Posted By: Inextlive