-शहर के मोहल्ला बड़ी बमनपुरी में 1961 में शुरुआत हुई थी ऐतिहासिक रामबारात की

-बुजुर्गो का कहना धार्मिक आयोजनों के प्रति लोग जागरूक तो है लेकिन उत्साहित नहीं

BAERILLY :

शहर के बड़ी बमनपुरी से होली पर निकाली जाने वाली ऐतिहासिक रामबारात 157 वर्ष पुरानी है। इस बार 158वीं रामबारात का आयोजन किया जा रहा है। रामबारात का आयोजन 1861 में हुआ था। तब से लगातार रामबारात का आयोजन बड़ी बमनपुरी में आयोजित होता आ रहा है। रामबारात को प्रशासन अपने स्तर से भी मदद करता है, जिसके लिए रामबारात आयोजकों को परमिशन लेने की भी जरूरत नहीं होती है। रामबारात कमेटी का कहना है कि पहले और आज की रामबारात में काफी बदलाव आया है। आज के समय में लोगों में जागरुकता आई है और लोगों में रामबारात को लेकर उत्साह भी दिखाई देता है।

टेशू के फूलों से खेली जाती थी होली

बड़ी बमनपुरी से आयोजित होने वाली रामबारात के अध्यक्ष मुनीश शर्मा और कोषाध्यक्ष अविनाश शंखधार 82 वर्षीय ने बताया कि पहले और आज की रामबारात में काफी बदलाव आ गया है। बताते हैं कि शुरुआत की रामबारात में मोहल्ले के लोग ही होते थे। भीड़ भी कम होती थी। लेकिन आज रामबारात में शामिल होने वालों की संख्या 40-50 हजार तक पहुंच जाती है। करीब 80 वर्ष पहले रामबारात के लिए टेशू के 1 कुंतल फूल आते थे। जिसमें फूलों से बने रंग और फूलों से रामबारात में होली खेली जाती थी। लेकिन आज सभी केमिकल रंगों को प्रयोग शुरू हो गया है।

100 वर्ष पुराना है रथ

रामबारात कमेटी के आयोजकों ने बताया कि उनके पास पुराने समय की धरोहर तो अधिक नहीं बची है लेकिन हां एक रथ है जो करीब 100 वर्ष पुराना है। इस रथ में पहले पहिया नहीं थे इसे आठ लोग मिलकर कंधों पर उठाते थे और पूरे शहर में घूमाने के बाद बमनपुरी में ही वापस यात्रा संपन्न हाेती थी।

158 वर्ष पहले

-दो टैंकर पानी

-1 क्विंटल टेशू फूल

-सजावट में पचास किलो फूल

-पब्लिक 1 हजार

-8 लोग उठाते थे सिंहासन

-हाथ से बने सामान का प्रयोग होता था

और अब

-12-15 टैंकर पानी

- 3 क्विंटल फूल

-सजावट में एक कुंतल फूल

-पब्लिक पचास हजार

-सिंहासन को बैल खींचते हैं

-मार्केट से बने सामान प्रयोग होता है

-दो से तीन दर्जन बैंड और बग्घी होती है शामिल

नरसिंह मंदिर से होती है शुरुआत

होली से एक दिन पहले बड़ी बमनपुरी के नरसिंह मंदिर से राजगद्दी में श्री राम, जानकी, लक्ष्मण की राजगद्दी समेत कई झांकियां एक साथ निकाली जाती है। वहां से कुतुबखाना, कोहाड़ापीर, कोतवाली, नॉवेल्टी चौराहा, पुराना बसअड्डा, कालीबाड़ी, शहामतगंज, बड़ा बाजार, मठ की चौकी, शाहदाना, कुंवरपुर, चमन मठिया होते हुए शाम तक राम बारात ब्रह्मापुरी स्थित नरसिंह मंदिर पर संपन्न होती है।

भाईचारे की मिसाल है रामबारात

शहर में निकाली जाने वाली रामबारात हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक भी मानी जाती है। 1861 में इस रामबारात की शुरुआत हुई थी, लेकिन बीच में अंग्रेजों ने इस रामबारात पर रोक लगाने की कोशिश की थी। तब धर्मगुरु आला हजरत ने पैरवी कर रामबारात को दोबारा शुरू कराया था। तब से ये रामबारात आपसी भाई चारे की मिसाल बनी हुई है।

कमेटी के लोगों की बात

मेरी उम्र करीब 82 वर्ष है, पहले रामबारात के लिए एक माह पहले ही तैयारी में लगना पड़ता था, लेकिन आज एक सप्ताह में ही तैयारी पूरी हो जाती है। पहले धार्मिक आयोजन में लोग समय देते थे लेकिन आज समय की कमी है।

अविनाश शंखधार, कोषाध्यक्ष

रामबारात में अब पब्लिक में उत्साह देखने को मिलता है, वह पहले नहीं था। बमनपुरी की रामलीला को ऐतिहासिक रामलीला का भी दर्जा मिला हुआ है, प्रशासन भी मदद करता है।

आलोक कुमार, स्थानीय निवासी

Posted By: Inextlive