-श्री रामायण मंदिर में पंडित रविनंदन शास्त्री ने सुनाई रामकथा

बरेली: माधोबाड़ी स्थित श्री रामायण मंदिर में चल रही रामकथा में पं। रविनंदन शास्त्री जी ने ट्यूजडे को संत महिमा का बखान किया। उन्होंने बताया कि संत का प्रत्येक कार्य जगत के कल्याण के लिए होता है। ज्ञात हो श्री रामायण मंदिर में चल रही रामकथा श्री तुलसी महोत्सव उपलक्ष्य में चल रही है। कथा के दौरान राम न विसार बंदे, राम न विसार। सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।

दुष्ट भी बन जाते सज्जन

कथा में बताया कि सत्संग संतों की संगति मात्र से ही मनुष्य के अनेक रोग एवं व्याधियां समाप्त हो जाती हैं। संतों की संगति से दुष्ट भी अपनी प्रकृति बदल देते हैं तथा सज्जन बन जाते हैं। सत्संग चाहे किसी भी रूप में किया जाए इसका प्रभाव अवश्य होता है। उन्होंने पारस का उदाहरण देते हुए कहा कि लोहा चाहे कैसा भी हो, पारस के स्पर्श से वह स्वर्ण में परिवर्तित हो ही जाता है। उसी प्रकार सत्संग का प्रभाव भी सदैव ही उत्तम गति को ही प्राप्त कराता है।

राम नाथ कल्पवृक्ष

उन्होंने नाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि राम नाम कल्पवृक्ष है। राम नाम का आश्रय लेने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं। जो कार्य राम नहीं कर सकते वह कार्य राम का नाम कर देता है। इसी क्रम में उन्होंने भजन सुनाया।

2 अगस्त तक चलेगी कथा

उन्होंने कहा कि इस संसार में प्रत्येक मनुष्य स्वार्थ वश ही प्रेम करता है। यदि स्वार्थ नहीं है तो सच्चा प्रेम कभी भी बंधन में नहीं बंधता। प्रेम तो बंधन मुक्त करता है। जबकि मोह बंधन में बांधता है। संसार में व्यवहार कुशल बनो। सभी जीवो से प्रेम भी करो किंतु मोह न करो। मंदिर के भजन गायक जगदीश भाटिया ने बताया कि कथा के 3 सत्र ही शेष हैं। कथा 2 अगस्त तक चलेगी।

Posted By: Inextlive