दुबई में एक भारतीय ईसाई ने 800 मुस्लिम मजदूरों को इफ्तार दिया है। इससे पहले उसने मुस्लिम मजदूरों के लिए एक मस्जिद भी बनवाई थी।


दुबई (पीटीआई)। संयुक्त अरब अमीरात में एक भारतीय ईसाई बिजनेसमैन ने रमजान के चल रहे महीने के दौरान लगभग 800 मजदूरों को इफ्तार दिया है। केरल के कयाकमुलम के रहने वाले इस 49 वर्षीय साजी चेरियन ने पिछले साल मुस्लिम मजदूरों के लिए फुजैराह में एक मस्जिद बनवाया था। जहां उन्होंने मस्जिद बनवाया, इससे पहले उस जमीन को किराए पर दिया गया था। बता दें कि पहले मजदूरों को नमाज अदा करने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता था, टैक्सी से मस्जिद तक जाने-आने में मजदूर अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा गंवा देते थे, इसी बात को ध्यान में रखते हुए चेरियान ने मजदूरों के खर्च को बचाने के लिए मरियम उम्म ईसा मस्जिद का निर्माण कराया। इस साल रमजान 7 मई से शुरू हुआ है।हर रोज देते हैं इफ्तार
गल्फ न्यूज के मुताबिक, 2003 से संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले चेरियन ने एक ही परिसर में मजदूरों और विभिन्न कंपनियों के अन्य वरिष्ठ कर्मचारियों सहित लगभग 800 लोगों को इफ्तार दिया। एक अखबार को उन्होंने बताया, 'मस्जिद पिछले साल रमजान की 17 वीं रात को खुली। इसलिए, मैं नामज अदा करने वालों को केवल कुछ ही दिनों के लिए इफ्तार की पेशकश कर सकता था। इस साल से, मैं इसे हर दिन करूंगा।' इफ्तार के भोजन में खजूर, ताजे फल, स्नैक्स, जूस, पानी और बिरयानी शामिल हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने विभिन्न प्रकार की बिरयानी पेश करने की व्यवस्था की है ताकि वे हर इफ्तार में एक ही तरह का पकवान खाकर ऊब न जाएं।' बुधवार को चेरियन की तरफ से इफ्तार लेने वाले 63 वर्षीय पाकिस्तानी बस चालक अब्दुल कयूम चेरियन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, 'दुनिया को उनके जैसे लोगों की जरूरत है। अगर उनके जैसे लोग नहीं होंगे तो दुनिया खत्म हो जाएगी। हम उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं। अल्लाह उन्हें आशीर्वाद देगा।'मुंबई की चलती लोकल ट्रेन में युवक ने किया खतरनाक किकी डांस, रेलवे पुलिस लेगी एक्शन50 से अधिक कंपनियों के कर्मचारी एक कंपनी में सहायक प्रबंधक के रूप में काम करने वाले एक भारतीय वाजस अब्दुल वाहिद ने कहा कि इस क्षेत्र में करीब 50 से अधिक कंपनियों के कर्मचारी हैं। वरिष्ठ कर्मचारी और मजदूर अलग-अलग आवास में रहते हैं लेकिन, जब हम यहां आते हैं, तो हम सभी एक समान होते हैं और साथ रहने की प्रार्थना करते हैं।'

Posted By: Mukul Kumar