क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : तू डाल-डाल मैं पात-पात की तर्ज पर रांची में बिजली चोर हर कदम पर दे रहे बिजली विभाग को मात. बिजली वितरण निगम के डाटा के अनुसार पूरे राज्य में सबसे ज्यादा बिजली की चोरी रांची में हो रही है.अप्रैल महीने में बिजली विभाग की छापेमारी में रांची में 89 लोगों के खिलाफ बिजली चोरी का एफआईआर दर्ज किया गया. इसी तह मार्च महीने में 62 लोगों के खिलाफ बिजली चोरी का मुकदमा हुआ है. जनवरी महीने में भी रांची में 103 लोगों के खिलाफ बिजली चोरी का एफआईआर दर्ज किया गया है. इसके बाद बिजली वितरण कंपनी ने कहा कि तार डालकर होने वाली बिजली चोरी रोकने के लिए भूमिगत तारें बिछाई जाएंगी. लेकिन अभी तक यह काम पुरा नही हो पाया है.

सप्लाई होने से पहले चोरी

हालत यह है कि बिजली वितरण केंद्रों से उपभोक्ताओं तक सप्लाई के बीच ही बिजली चोरी हो जाती है. कुछ स्थानों पर तो 60 से 65 परसेंट तक बिजली चोरी हो जाती है. इस पूरे नुक्सान का हिसाब लगाएं तो हर साल बिजली विभाग को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

मीटर भी बदले पर नहीं रुकी चोरी

चोरी रोकने के लिए ही वितरण कंपनी ने राज्य के 95 फ सदी से ज्यादा इलेक्ट्रो मैकेनिकल मीटर बदल डाले. इन्हें खोलकर आसानी से बंद किया जा सकता था इसलिए विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक मीटर का रास्ता निकाला. मगर यह भी कारगर साबित नहीं हो पाया. विभाग के पास ऐसे ढेरों मामले हैं जिनमें चुंबक और रिमोट के जरिए बिजली चोरी पकड़ी गई. राज्य में मीटर बाईपास करके बिजली चोरी करने के मामले भी कम नहीं हैं. बाईपास यानी मीटर को जोड़ने वाली तार से लाइन खींचकर बिजली चोरी, इससे मीटर घूमना बंद हो जाता है.

बिजली हो रही महंगी, चोरी भी बढ़ी

बिजली विभाग के अधिकारियों का मानना है कि बिजली चोरी पर अगर अंकुश लग जाता है तो बिजली दर सस्ती हो सकती है. झारखंड बिजली वितरण निगम को बिजली खरीदने में जितना पैसा खर्च करना पड़ता है उससे कम की वसूली हर साल होती है. करोड़ो रूपए का राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए भी हर साल बिजली के दामों में बढ़ोतरी की जा रही है, और इसका असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha