RANCHI: सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल इन दिनों लूट का अड्डा बना हुआ है। पैसा बनाने के लिए यहां बनाने-बिगाड़ने का काम तेजी से चल रहा है। जिसे देखो वह काम कराने के नाम पर अपनी जेब भरने में लगा हुआ है। इसमें अधिकारी भी खूब साथ दे रहे हैं। बता दें कि हॉस्पिटल में कई साल पहले लाखों खर्च कर जरूरी कई कीमती लगवाए गए थे। मजे की बात यह है कि इनका इस्तेमाल न कर सामानों को बर्बाद होने के कगार पर पहुंचा दिया गया। अब इन्हें बेकार बताकर नए सामान इंस्टालेशन कराने के नाम पर अंधाधुंध कमाई जारी है।

9 सालों में बजट दोगुना से अधिक

हॉस्पिटल कैंपस में पहले से जनरल हॉस्पिटल चल रहा था। इस बीच वहां पर 500 बेड का सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल बनाने का काम शुरू हुआ। 2011 में नई बिल्डिंग भी बनकर तैयार हो गई। इस बीच सात साल ऐसे ही गुजर गया। 2017 में जब हॉस्पिटल की शुरुआत हुई तो 143.47 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। इसके बाद भी हॉस्पिटल को सुपस्पेशियलिटी बनाने के नाम पर सरकार से 164.45 करोड़ रुपए की मांग की गई। वहीं हेल्थ डिपार्टमेंट से इक्विपमेंट इंस्टालेशन के लिए 19.75 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं। इसके बाद भी हॉस्पिटल आज तक पूरी तरह से चालू नहीं हो पाया है।

लिफ्ट, कैंटीन नहीं हुए चालू

नई बिल्डिंग में मरीजों के लिए कई सुविधाएं दी जानी थीं। लेकिन 200 बेड का हॉस्पिटल चालू होने के बाद भी आज तक लिफ्ट को चालू नहीं किया जा सका। वहीं लाउंड्री और कैंटीन बनाने का काम तो एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। लैब और कलेक्शन सेंटर भी दुरुस्त नहीं हो पाया है। इससे यह साफ है कि हाइजीन को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं है।

वर्जन

मैंने तो अभी हाल में ज्वॉइन किया है। लेकिन पुराने सामानों को हटाने और कुछ को रीयूज करना है। इस चक्कर में देरी हो रही है। हम लोग इस साल के अंत तक काम पूरा कर लेंगे। जहां तक खर्च की बात है तो मेरे आने के बाद जो खर्च हुआ वह तो मैं जानता हूं। इससे पहले के बारे में जानकारी नहीं है। -अमित कुमार, इंजीनियर, सुपरस्पेशियलिटी विंग

Posted By: Inextlive