रांची यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन इनडायरेक्ट में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एबीवीपी के उम्मीदवारों ने क्लीन स्वीप किया है.

रांची (ब्यूरो)।  एबीवीपी ने रविवार को पांच पदों के लिए छह प्रत्याशियों का नॉमिनेशन कराया, जिनके खिलाफ किसी भी संगठन के प्रत्याशी ने पर्चा नहीं भरा। इस प्रकार पांचों पदों पर परिषद के ही उम्मीदवारों का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया।

लेट से पहुंचे तो दूसरे को भराया पर्चा
रविवार को रांची यूनिवर्सिटी के पांच पदों पर अप्रत्यक्ष चुनाव के लिए नॉमिनेशन फाइल करने की अंतिम तिथि थी। एबीवीपी ने अपने पैनल के सभी उम्मीदवारों को यूनिवर्सिटी के मोरहाबादी स्थित बेसिक साइंस बिल्डिंग पहुंचने को कहा था। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के प्रत्याशी तो पहुंच गए थे पर उप सचिव पद के प्रत्याशी सौरभ कुमार साहू को खूंटी से पहुंचने में देर हो रही थी। इसी वजह से एबीवीपी ने इस पोस्ट के लिए बैकअप के रूप में मारवाड़ी कॉलेज से वाइस प्रेसिडेंट के पोस्ट पर जीत कर आए ऋषभ तिवारी का नॉमिनेशन फाइल करा दिया। इसके बाद सौरभ भी पहुंच गए। आनन-फानन में सौरभ से भी पर्चा भरवाया गया। इसके बाद एबीवीपी ने घोषणा कर दी कि सोमवार को नाम वापसी के दौरान ऋषभ अपना पर्चा वापस ले लेंगे। इस प्रकार पांचों पदों पर निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया।

59 वर्षो का रिकॉर्ड टूटा
रांची यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में 59 वर्षो का रिकॉर्ड टूट गया। इससे पहले सभी पदों पर निर्विरोध निर्वाचन नहीं हुआ था। पहली बार किसी पद के लिए दूसरे संगठन के उम्मीदवार ने पर्चा दाखिल नहीं किया। इसके पीछे वजह यह रही कि चुनाव जीतने के लिए एबीवीपी के पास पर्याप्त आंकड़े हैं। कॉलेजों और पीजी डिपार्टमेंट्स में हुए चुनाव में एबीवीपी को कुल 65 सीटें मिली थीं। किसी भी पोस्ट पर जीत के लिए 48 वोट चाहिए। विपक्षी संगठनों के पास केवल 30 वोट ही थे। हार तय थी, जिस वजह से किसी ने नॉमिनेशन फाइल नहीं किया।

आरयू ने कहा-अब तक छह प्रत्याशी
इधर, रांची यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता प्रकाश कुमार झा ने बताया कि रविवार को छह नॉमिनेशन फाइल हुए। चूंकि विश्वविद्यालय में पार्टी या संगठन के नाम से नॉमिनेशन नहीं होता, इसलिए किसी दल विशेष के छात्र संगठन को विजेता घोषित करना आरयू का काम नहीं है। रविवार को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पद के लिए एक-एक तथा उप सचिव पद के लिए दो नॉमिनेशन फाइल हुए। इस प्रकार आधिकारिक रूप से छह प्रत्याशी मैदान में हैं। सोमवार को नाम वापसी के दिन अगर कोई प्रत्याशी अपना नाम वापस लेता है, तो तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी।

आरयू में एबीवीपी का सफर
2016 - 3 पद एवं 2 पर गठबंधन।

2018 - 45 साल के बाद पहली बार यूनिवर्सिटी के पांचो पद पर कब्जा।

2019 - पांचो पदों पर निर्विरोध निर्वाचन तय।

59 वर्षो में पहली बार यूनिवर्सिटी पैनल में एबीवीपी के प्रत्याशी पांचों पदों पर निर्विरोध निर्वाचित हुए। यह जीत संगठन के असंख्य कर्मठ कार्यकर्ताओं के त्याग, निष्ठा, समर्पण व अथक परिश्रम की बदौलत मिली है।

-याज्ञवल्क्य शुक्ल, प्रदेश संगठन मंत्री, एबीवीपी

राष्ट्रवादी विचारधारा की जीत: बीजेपी
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने रांची यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में एबीवीपी के सभी प्रतिनिधियों के निर्विरोध चुने जाने पर प्रसन्नता जताई है। कहा है कि राष्ट्रवाद की प्रबल भावना के सामने आज दूसरे राजनीतिक दल के छात्र संगठन खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं और उनमें उम्मीदवार खड़े करने की भी हैसियत खत्म हो गयी है। इसलिए एबीवीपी के पांचों उम्मीदवारों के खिलाफ साझा विपक्ष एक भी उम्मीदवार खड़ा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। एबीवीपी ने 65 के लक्ष्य को प्राप्त कर जिस अध्याय की शुरुआत की है, उसका अंत भाजपा आने वाले विधानसभा चुनाव में 65 के लक्ष्य को प्राप्त कर अंतिम अध्याय लिख कर करेगी।
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Posted By: Inextlive