पूर्व बाधा दौड़ धावक और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ एएफआइ की चयन समिति के प्रमुख जीएस रंधावा ने केपी थॉमस को द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाने का विरोध करते हुए अंजू बाबी जॉर्ज जैसे स्टार एथलीटों को तैयार करने के उनके दावे पर सवाल उठाया है.


खुद पुरस्कार के दावेदार रहे रंधावाइस साल खुद इस पुरस्कार के दावेदार रहे रंधावा ने खेलमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि ऐसे कई उदाहरण है, जब पुरस्कार के हकदार की झोली खाली रही और उन्हें पुरस्कार दे दिया गया, जो दावेदार नहीं थे. टोक्यो ओलंपिक 1964 में 110 मीटर बाधा दौड़ में पांचवें स्थान पर रहे रंधावा ने कहा कि थॉमस को द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चुने जाने से एएफआइ हैरान है. उन्होंने कहा कि भारतीय एथलेटिक्स समुदाय यह सुनकर हैरान है कि थॉमस को इस साल द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चुना गया. उन्होंने कहा, ‘इस साल द्रोणाचार्य सम्मान ऐसे व्यक्तिको दिया जा रहा है जिसने कभी राष्ट्रीय कोचिंग शिविर में भाग नहीं लिया और कभी किसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारतीय खिलाडिय़ों के साथ नहीं गया.’ थॉमस का दावा, दी स्टार खिलाडि़यों को कोचिंग
थॉमस की उपलब्धियों पर सवाल दागते हुए रंधावा ने कहा कि उनकी पृष्ठभूमि और उपलब्धियों की भली-भांति जांच होनी चाहिए. थॉमस ने दावा किया है कि उन्होंने अंजू बाबी जॉर्ज, शाइनी विल्सन और जिंसी फिलिप को कोचिंग दी है. बॉबी जॉर्ज को अंजू जॉर्ज की उपलब्धियों के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जा चुका है, वहीं हरगोबिंद सिंह को शाइनी विल्सन की उपलब्धियों के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार मिल चुका है. उन्होंने कहा कि पिछले 17 साल से जिंसी सीआरपीएफ के साथ हैं और एएफआइ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिविरों में अभ्यास करते हैं. थॉमस की सेवाएं कभी एएफआइ ने राष्ट्रीय शिविर के लिए नहीं लीं. रंधावा ने कहा कि इन खिलाडिय़ों के प्रदर्शन का श्रेय थॉमस को नहीं जाता है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh