श्रद्धालुओं का सवाल, चकराए लेखपाल
-मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं का बनाया जा रहा है राशन कार्ड
-खाद्यान्न के सवाल लेखपाल ने दिया गोलमोल सा जवाब ALLAHABAD: संगम की रेती पर सभी पांच सेक्टर में कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं का राशन कार्ड बनाने का काम शुरू हो चुका है। इसी सिलसिले में सोमवार को खाक चौक एरिया में लेखपाल पहुंचे तो उन्हें श्रद्धालुओं के आटा व चावल को लेकर किए गए सवालों से परेशान होना पड़ा। इसकी वजह यह थी कि जो कार्ड श्रद्धालुओं के लिए छपवाया गया है उसमें आटा, चावल, मिट्टी का तेल और एलपीजी का विवरण छपा हुआ है। लेकिन इसमें से आटा व चावल की सुविधा उपलब्ध ही नहीं कराई जा सकी है। पिछले साल जैसा होगा क्या?खाक चौक एरिया के राम मनोहर दास के शिविर में दो लेखपाल राशन कार्ड बनाने के लिए पहुंचे। जब पूरे शिविर के दस सदस्यों का कार्ड बनाया जाने लगा तो उन्होंने लेखपाल से पूछा कि भइया आटा व चावल का वितरण कब से होगा। इस पर लेखपाल ने कुछ नहीं बोला। तब राम मनोहर दास ने कहा कि पिछले वर्ष की तरह ही इस बार भी होगा का क्या? इसी तरह सतीश मिश्रा व कामता प्रसाद के शिविर में भी लेखपाल को सवालों से जूझना पड़ा। दोनों श्रद्धालुओं ने कार्ड देखते ही कह दिया कि कब मिलेगा राशन?
साठ हजार का बनाना है कार्ड 60 हजार श्रद्धालुओं का राशन कार्ड बनना है। 80 अस्सी हजार श्रद्धालुओं का कार्ड पिछले साल बनाया गया था। 10 हजार लीटर पिछले साल का बचा बांटा जा रहा है। इसलिए कार्ड बन रहे कम। 400 मीट्रिक टन गेहूं और तीन सौ मीट्रिक टन चावल के प्रस्ताव को नहीं मिली मंजूरी। कॉलिंग प्रशासन के भरोसे रहते तो राशन कभी नहीं मिलता। लेकिन कार्ड पर छपा हुआ था तो सवाल पूछने में क्या जाता है। पिछले वर्ष भी यही किया गया था। -राम मनोहर दास कार्ड तो ऐसा छपवाया गया है कि ढूंढकर श्रद्धालुओं को राशन उपलब्ध कराया जाएगा। जब राशन देना नहीं है तो कार्ड बनाने का क्या औचित्य है। -आचार्य कैलाश गिरि राशन कार्ड बनवाने का क्या मतलब है। अगर राशन ही नहीं दिया जा रहा है। इसीलिए हम लोगों ने अपने खाद्यान्न की व्यवस्था पहले से ही दुरुस्त कर रखी है। -सतीश मिश्रा श्रद्धालुओं को पिछले वर्ष भी छला गया था। इस बार भी ऐसा ही लग रहा है। लेखपाल से कार्ड बनवाते समय यही पूछा कि भइया कब से आटा और चावल मिलेगा। जवाब कुछ नहीं था। -कामता प्रसाद वर्जनराशन कार्ड दिसंबर महीने में ही छपवाने का निर्णय लिया गया था। तब तक उम्मीद थी कि समय से खाद्यान्न को लेकर स्वीकृति मिल जाएगी। इसीलिए कार्ड में पूरा विवरण दर्ज कराया गया था।
-अभिषेक तिवारी, आपूर्ति निरीक्षक