RANCHI: विजयादशमी के दिन मोरहाबादी मैदान में 65 फीट ऊंचा रावण, 60 फीट उंचा कुंभकर्ण, 55 फीट ऊंचा मेघनाद व 30 गुणा 30 फीट के सोने की लंका धू-धू कर जलेगी। रविवार को कडरू स्थित लाला लाजपत राय स्कूल में पंजाबी ¨हदू बिरादरी के प्रवक्ता अरुण चावला ने बताया कि रावण दहन कार्यक्रम के चीफ गेस्ट सीएम रघुवर दास होंगे। स्पेशल गेस्ट्स में सांसद, मंत्री व मेयर भी उपस्थित रहेंगी। मौके पर जमीनी एवं आकाशीय आतिशबाजी के साथ-साथ आकर्षक कल्चरल प्रोग्राम भी होंगे।

माहौल बनाएंगे कलाकार

बताया कि सेंट जेवियर्स कॉलेज के प्रोफेसर डॉ। कमल बोस के नेतृत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। बंगाल के कारीगर दीपक पारीया जमीनी आतिशबाजी का खेल दिखाएंगे। जबकि पंजाबी ¨हदू बिरादरी के माध्यम से की जाने वाली आकाशीय आतिशबाजी आकर्षण का केंद्र होगी। गुरुनानक हॉस्पिटल व पंजाबी ¨हदू बिरादरी के सहयोग से मौके पर एंबुलेंस की व्यवस्था, मेन रोड स्थित श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा व मारवाड़ी युवा मंच के माध्यम से पीने के पानी की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध झारखंड के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। नृत्यांगना रूपा डे, गायिका ज्योति साहू व चुम्बी राय अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी। मौके पर पंजाबी ¨हदू बिरादरी के राजेश खन्ना, मुकुल तनेजा, रणदीप आहुजा, सुधीर उग्गल समेत कई उपस्थित थे।

1948 में रावण दहन की हुई थी शुरुआत

रांची में रावण दहन की शुरुआत 1948 में हुई थी। रांची कॉलेज, महात्मा गांधी मार्ग व डाक घर के सामने 12 फीट के रावण का निर्माण आयोजकों ने अपने हाथों से किया था। 1950 से 1955 तक रावण के पुतलों का निर्माण रेलवे स्टेशन स्थित खिजुरिया तालाब के समीप रेस्ट कैंप (रिफ्यूजी कैंप) में होने लगा। 1950 से 1955 तक रावण के पुतलों का दहन बारी पार्क (टाउन हॉल) में होता था। फिर पंजाबी ¨हदू बिरादरी के सदस्य किशोरी लाल खन्ना, लाला देशराज, कश्मीरी लाल मल्होत्रा, एनआर धीमान, ईश्वर दास आजमानी, देश राज भाटिया, लाला राधा कृष्ण विरमानी, भगवान दास आनंद, यशपाल आनंद, मेहता मदन लाल ने जब पंजाबी ¨हदू बिरादरी की कमान संभाली तो इन्होंने रावण के पुतला का निर्माण डोरंडा स्थित राम मंदिर में करवाया और रावण दहन देखने वालों की भीड़ बढ़ती गई। आयोजकों ने उस समय से लेकर आज तक रावण दहन के कार्यक्रम के लिए मोरहाबादी मैदान को सबसे उपयुक्त समझा। इस दौरान रावण के पुतले की ऊंचाई बढ़ती गई और पंजाबी ¨हदू बिरादरी के आयोजकों ने मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतले के साथ-साथ सोने की लंका का भी निर्माण कराना शुरू किया, जो आज भी जारी है। पंजाबी ¨हदू बिरादरी रावण दहन के कार्यक्रम का आयोजन कर समाज के विभिन्न समुदायों को जोड़ने का प्रयास करती है।

Posted By: Inextlive