आरबीआई ने 3 साल के बाद रेपो रेट घटाया है. जानकारों के मुताबिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने फैसला लिया है. उम्मीद है कि अब लोन सस्ता होगा.


भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान करते हुए रेपो रेट में 0.50 फीसदी की कटौती कर दी है इस तरह आरबीआई ने देश में विकास की गति तेज करने के लिए रेपो दर को 8.50 फीसदी से घटाकर आठ फीसदी कर दिया है.सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह 4.75 फीसदी ही है जबकि रिवर्स रेपो रेट में भी 0.50 फीसदी की कटौती की गई है और अब यह 7.50 फीसदी से घटकर 7.00 फीसदी हो गई है. केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7.3 फीसद रहने की संभावना जताई है.
रिजर्व बैंक ने सालाना ऋण एवं मौद्रिक नीति पेश होने की पूर्व संध्या पर जारी अपनी रिपोर्ट में इसका स्पष्ट संकेत दिया था. दरों में इस कटौती से कर्ज लेकर घर और गाड़ी खरीदनेवालों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. साथ ही विकास दर को भी पटरी  पर लाने में मदद मिलेगी.


गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की जारी 2011-12 की इकोनोमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि समाप्त वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में मुद्रास्फीति कुछ नरम पड़ी है लेकिन यह अभी भी उंची बनी हुई है. मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अभी भी जोखिम बना हुआ है इसलिये मौद्रिक नीति में इसपर अंकुश के उपाय बने रहने चाहिये.

पिछले करीब दो साल से उंची ब्याज दरों के कारण उपभोक्ता मांग में लगातार गिरावट का रुख रहा है. इससे उद्योगों में मांग कमजोर पड़ी है और आर्थिक वृद्धि का पहिया धीमा पड़ा है. समाप्त वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है.रिजर्व बैंक के लिये मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बिठाना मुश्किल भरा काम हो गया है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने आज इस चुनौती से निपटने का संकेत देते हुये कहा है कि मौद्रिक नीति का जोर अब गिरती आर्थिक वृद्धि को थामने की तरफ होना चाहिये, हालांकि इसके साथ ही मुद्रास्फीति पर भी नियंत्रण रखा जाना चाहिये.

Posted By: Kushal Mishra