RANCHI: रांची के रियल एस्टेट मार्केट में पूजा के मौके पर इस साल मंदी छाई हुई है। एक ओर जहां देश भर में एफोर्डेबल(कम लागत) हाउसिंग प्रोजेक्ट को गति देने की बात हो रही है, वहीं रांची में कंस्ट्रक्शन के लगभग सभी काम ठप पड़े हुए हैं। इक्का-दुक्का निर्माण हो भी रहा है, तो उसकी लागत आसमान छू रही है। पहले पूजा शुरू होने के साथ ही रियल एस्टेट मार्केट में फ्लैट बुकिंग के लिए ऑफर की भरमार रहती थी। वहीं, इस साल नवरात्र शुरू हो गया, लेकिन एक भी प्रोजेक्ट लांचिंग की सुगबुगाहट शहर में नहीं है।

नगर निगम ने फंसाई कई पेंच

पहले की अपेक्षा अब नगर निगम की ओर से नया अपार्टमेंट बनाने में कई पेंच फंसा दिए गए हैं। अब अपार्टमेंट बनाने के लिए बिल्डर को भू-स्वामी के साथ पहले डेवलपमेंट एग्रीमेंट कराना होगा। जब तक डेवलपमेंट एग्रीमेंट की रजिस्ट्री नहीं होगी, तब तक अपार्टमेंट का नक्शा नगर निगम से पास नहीं होगा। वहीं, यदि कोई भू-स्वामी अपनी जमीन पर अपार्टमेंट बनाना चाहता है, तो उसे एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के पास शपथपत्र देना होगा कि भविष्य में वह अपार्टमेंट में किसी को हिस्सेदारी नहीं देगा। अगर किसी दूसरे को हिस्सेदारी दी गई, तो नक्शा स्वत: रद हो जाएगा।

7भ्0 नक्शों के आवेदन नगर निगम में पेंडिंग

अपार्टमेंट बनाने के लिए नक्शे भी पास नहीं हो रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राजधानी में आवासीय निर्माण के 7भ्भ् से ज्यादा नक्शे डेढ़-दो साल से नगर निगम में पेंडिंग हैं। इसमें म्फ्0 निजी आवास के नक्शे व लगभग क्ख्भ् अपार्टमेंट के नक्शे के आवेदन शामिल हैं। इनके पास होने पर लगभग 9ब्.90 लाख वर्ग फीट पर आवासीय निर्माण होता। निर्माण में औसतन क्000 रुपये प्रति वर्ग फीट का खर्च माना जाता है।

न बालू मिल रहा, न जमीन मिल रही

रांची में रियल एस्टेट इंडस्ट्री में लगी ब्रेकके पीछे सबसे बड़ा कारण सरकारी नियमों की पेंच भी मानी जा रही हैं। रोज-रोज नए नियम बनाये जा रहे हैं। नक्शा ही नहीं, म्यूटेशन के मामले भी महीनों से अंचल कार्यालयों में पेंडिंग पड़े हुए हैं। रांची शहर अंचल में ही म्यूटेशन के सैकड़ों मामले पेंडिंग हैं। इस कारण जमीन नहीं मिल रहे हैं। वहीं, बालू भी नहीं मिल पा रहा है। बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया पूरी हो गयी है, लेकिन पर्यावरण क्लियरेंस नहीं मिलने के कारण बालू का उठाव नहीं हो पा रहा है।

क्या कहते हैं बिल्डर

जब तक सरकार अन्य राज्यों की तरह नियमों को स्पष्ट नहीं करती है, रियल इस्टेट कारोबार नहीं बढ़ पाएगा। राजधानी रांची में रोज नए-नए नियम बन रहे हैं। बालू-नक्शा जैसे जरूरी मामलों को महीनों तक लटकाया जा रहा है। रांची में तो एक साल से बालू ही नहीं मिल रहा है।

-पवन बजाज, बिल्डर

राजधानी में रियल एस्टेट कारोबार काफी धीमा हो गया है। तेजी से काम नहीं होने के कारण निर्माण की लागत लगातार बढ़ती जा रही है। इसका असर सीधे तौर पर ग्राहकों पर ही पड़ रहा है।

-रमेश कुमार, बिल्डर। बूटी मोड़

Posted By: Inextlive