बनारस: 'बाप' ही सलटा दे रहे हैं बच्चों के अपराधिक मामले?
VARANASIबच्चों संग हुए अपराध या बच्चों की ओर से किए गए अपराध, लापता बच्चे या किसी सार्वजनिक स्थल से गुम हुए बच्चों की बरामदगी इन सब मामलों की देखरेख के लिए पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में प्रदेश का पहला बाल मित्र पुलिस थाना दो साल पहले शुरू तो हुआ लेकिन ये थान अब सिर्फ दिखावे का रह गया है। वजह खासतौर पर बच्चों के लिए बनाये गए इस थाने में बाल अपराध से जुड़े मामले ही नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिले के चौबीसों थाने इस तरह के मामलों में एक्टिव ही नहीं हो रहे हैं। हाल ये है कि बच्चों से जुड़े अपराध के मामलों को थाना लेवल पर ही सुलटाकर उन्हें खत्म कर दिया जा रहा है। इसके कारण बाल मित्र पुलिस थाने को बनाये जाने का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है।न हो रही काउंसलिंग, न जांच
नॉर्मली बाल अपराध के मामले में बच्चों को बाल सुधार गृह भेजने से पहले उनकी काउंसलिंग और उनकी जमानत के लिए पहले से ही प्रयास करने का नियम है ताकि बच्चे अपराध के दलदल में न फंस पाएं। इसके लिए ही बाल मित्र पुलिस थाने की शुरुआत की गई है। प्रदेश में पहले इस तरह के थाने के बनने के बाद जिले के सभी लोकल थानों को ये निर्देश था कि उनके यहां बच्चों के अपराध से जुड़े आने वाले मामलों को बाल मित्र पुलिस थाने में ट्रांसफर किया जाये ताकि हर मामले में काउंसलिंग के साथ उसकी प्रॉपर जांच हो सके लेकिन ऐसा हो न सका। हाल ये है कि इस साल अब तक महज चोरी का एक मामला यहां पहुंचा जिसमें तीन किशोरियों को बाल सुधार गृह भेजा गया। इसके अलावा कोई भी मामला इस थाने में नहीं पहुंचां।ये हाल फिर भी बेहाल01नोडल अधिकारी सीओ लेवल का करता है निगरानी01एसआई लेवल का ऑफिसर है इंचार्ज02एसआई समेत 01 काउंसलर भी हैं तैनातये है थाने का वर्क- बाल अपराधियों को थाने में ही खाना और पानी की सुविधा मिलती है-थाने में ही है टॉयलेट की व्यवस्था-किसी अपराध में पकड़े जाने के तत्काल बाद बाल अपराधियों को किशोर गृह नहीं भेजा जाता- थाने में रखकर की जाती है काउंसलिंग- जिला प्रोबेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, जिला श्रम अधिकारी, एसजेपीयू के प्रभारी अधिकारी, ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी व एनजीओ के पदाधिकारी हैं इस थाने से जुड़े- यूनिसेफ और एहसास संस्था भी करती हैं मदद
- थाने की मॉनिटरिंग लखनऊ से होती हैइस साल हमारे पास सिर्फ एक चोरी का मामला आया है। अधिकांश मामले थाने ही अपने लेवल पर हैंडिल कर ले रहे हैं। इस वजह से यहां बाल अपराध से जुड़े मामलों के आने की स्पीड स्लो है।एसके पाण्डेय, प्रभारी बाल मित्र पुलिस थाना