-टैक्स चोरों और तस्करों के लिये लेन-देन का मुफीद जरिया बनी बिटक्वाइन-जालसाजों के गैंग द्वारा ठगी का मामला सामने आने पर चर्चा में आई बिटक्वाइन

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LUCKNOW (9 Dec): एसटीएफ द्वारा वर्चुअल करेंसी बिटक्वाइन के नाम पर ठगी करने के आरोपी को दबोचा तो चर्चा शुरू हुई कि आखिर बिटक्वाइन है क्या और इसका इस्तेमाल आखिर कौन करता है। दरअसल इन दिनों इंटरनेट पर रुपये और दूसरी मुद्राओं के साथ लेन-देन में इस करेंसी का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। हैरानी की बात है कि किसी देश की करेंसी न होने और किसी देश द्वारा मान्यता न मिलने के बावजूद बिटक्वाइन वर्चुअल दुनिया में खासी पॉपुलर हो चुकी है। अब तक इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन का जरिया यूएस डॉलर को भी यह नई करेंसी चुनौती दे रही है। वजह भी साफ है, इस करेंसी के जरिए लेन-देन करने पर न तो सरकार को इस बारे में पता चलता है और न ही वह शख्स सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर आ पाता है।

 

नहीं आती किसी कानून के दायरे में

बिटक्वाइन करेंसी की पॉपुलारिटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेजन और कई ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स इसे एक्सेप्ट कर रही हैं। दरअसल, यह एक डिजिटल करेंसी है और इसका बिना बैंक के लेनदेन होता है। यह दुनिया के किसी भी कानून के दायरे में नहीं आती और न ही इसकी निगरानी ही संभव है। यही वजह है कि यह गैरकानूनी कामों को करने वालों या फिर टैक्स चोरों के लिये इससे ट्रांजेक्शन करना बेहद मुफीद साबित हो रहा है। यही वजह है कि इसे इस्तेमाल करने वालों की तादाद दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ती जा रही है। आभासी दुनिया की यह नई करेंसी तमाम देशों के लिये चिंता का सबब भी बन चुकी है। चीन ने तो बिटक्वाइन से लेनदेन को प्रतिबंधित कर दिया है।

 

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रुपया दीजिए, बिटक्वाइन लीजिए

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के काम आने वाली बिटक्वाइन को हासिल करना भी बेहद आसान है। भारत में यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म https://support.buysellbitco.in/support/home पर उपलब्ध है। इसके लिये कंपनी ने एजेंट भी बना रखे हैं जो इसी प्लेटफॉर्म पर लागइन आईडी के जरिए बिटक्वाइन की खरीद-फरोख्त करते हैं। इसके लिये किसी भी शख्स को साइट पर जाना होता है। जहां उसे अपनी जरूरत के हिसाब से बिटक्वाइन खरीदने का ऑप्शन होता है। बिटक्वाइन का रेट वैसे तो इंटरनेशनल मार्केट से तय होता है लेकिन, भारत में इसकी कीमत 20 फीसदी तक ज्यादा वसूली जाती है। शनिवार शाम को एक बिटक्वाइन की कीमत 14,812 यूएस डॉलर थी। जरूरत के मुताबिक बिटक्वाइन खरीदने के लिये साइट पर खुद का ई-वॉलेट बनाना पड़ता है। जिसके बाद रुपया ट्रांसफर करने पर उतनी रकम के एवज में बिटक्वाइन दे दिये जाते हैं। हाल ही में पकड़ा गया मो। अजहद भी खुद को एजेंट बताकर हरियाणा के फतेहाबाद निवासी व्यापारी को ठगने में सफल हो गया था।

 

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 इंजीनियरिंग छात्रों के जरिए चल रहा गोरखधंधा

बिटक्वाइन के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गैंग का खुलासा करने वाले यूपी एसटीएफ के एएसपी डॉ। त्रिवेणी सिंह ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला है कि बिटक्वाइन के नाम पर लोगों को ठगने वाले गैंग का सरगना पुणे में मौजूद हैं। उसने बेहद चालाकी से अपनी पहचान छिपाते हुए इंजीनियरिंग के छात्रों को अपना एजेंट बना लिया और उनके जरिए ही इस गोरखधंधे को संचालित कर रहा है। इतना ही नहीं, गैंग ने देश के तमाम शहरों में अपने एजेंट बना लिये हैं। इन एजेंटों का काम ऑनलाइन बिटक्वाइन खरीदने वाले को झांसा देकर दिये गए बैंक अकाउंट में रकम जमा कराना होता है। जिसके बाद सरगना रकम को निकाल लेता है। साथ ही एजेंटों को उनका कमीशन उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। डॉ। सिंह ने बताया कि एसटीएफ टीम को गिरफ्त में आए मो। अजहद से जो जानकारी हाथ लगी है, उसके सहारे अब पुणे पुलिस से संपर्क साधा गया है।

 

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Posted By: Chandramohan Mishra