विवाह के बाद ज्‍यादातर देशों और जातियों में बेटियों को शादी के बाद पिता का घर छोड़ कर अपनी ससुराल में जाकर रहना पड़ता है। विशेष रूप से हिंदू धर्म और भारत में तो विदाई की रस्‍म अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण होती है। कई बार हम सबके जहन में ख्‍याल आता है कि क्‍यों बेटियों को ही अपने बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर जाना पड़ता है आखिर लड़के क्‍यों नहीं रह सकते अपनी ससुराल में। इस सवाल का जवाब छुपा है कुछ तथ्‍यों में आइये जानते हैं विदाई की रस्‍म से जुड़े कुछ खास कारणों को।

धार्मिक कारण
दरसल हिंदू धर्म में शादी एक संस्कार हैं। इस संस्कार के अनुसार बाल्यावस्था तक बेटी के पालन पोषण का दायित्व उसके पिता को होता है, परंतु युवा होने पर बेटी का दायित्व विवाह करके उसके पति को सौंपना होता है। इसीलिए कन्यादान की रस्म होती है जिसमें बेटी को उसके पति के हाथें में सौंप कर कहता है कि आज से इसकी देखभाल उसका दायित्व होगा। यदि पति पत्नी को अपने साथ ना लेजा कर पिता घर छोड़ दे तो ये धर्मानुसार पाप माना जाता था।

सामाजिक कारण
विवाह एक सामाजिक व्यवस्था से जुड़ी रस्म भी है। परिवार का संचालन इसी विधि द्वारा ही होता है। इस के अनुसार पति पत्नी का दायित्व संभालता है और पत्नी संतानोत्पत्ति एवम् परिवार की देखभाल का काम करती है। इससे पति का परिवार आगे चलता है और समाज का संतुलन बनता है। इसीलिए विदाई कीरस्म अनिवार्य बताई जाती है।

संपत्ति से जुड़े कारण
पुरानी रस्मों के अनुसार पिता के घर से दहेज के रूप में हासिल की गयी संपत्ति को स्त्री धन के रूप में पाने के बाद बेटी का पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता था, परंतु पति के घर की संपत्ति में पति के हिस्से के सभी धन पर उसका परिवार का अधिकार होता था। इस तरह संपत्ति का वितरण विवादित नहीं होता था और व्यवस्था बनी रहती थी।

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Posted By: Molly Seth